फर्जी डिग्री से बने टीचर, कोर्ट ने सुनाई 5 साल की सजा

रुद्रप्रयाग: जनपद में तैनात एक शिक्षक ने बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी पा ली. एसआईटी एवं विभागीय जांच में मामले का खुलासा हुआ. शिक्षा विभाग शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया. फर्जी शिक्षक को तत्काल निलंबन कर बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय में मामला चलने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फर्जी शिक्षक को पांच साल के कठोर सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर पंद्रह हजार का अर्थदंड लगाकर सलाखों के पीछे भेज दिया है.

फर्जी शिक्षक त्रिलोक सिंह कठैत पुत्र भगत सिंह ने अपनी बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की. शिक्षा विभाग के एसआईटी एवं विभागीय जांच के अनुसार उक्त शिक्षक की बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया, जिस पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त हुई, जिसमें उक्त फर्जी शिक्षक द्वारा विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड वर्ष 1993 की डिग्री जारी नहीं हुई पायी गई. शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई थी. जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने शिक्षक के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया गया.

फर्जी शिक्षक को तत्काल निलंबन कर बर्खास्त किया गया और मामला सीजेएम न्यायालय के समक्ष चला. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की न्यायालय ने फर्जी शिक्षक त्रिलोक सिंह कठैत को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर छल व कपट से नौकरी प्राप्त करने के संबंध में दोषी पाते हुए धारा 420 भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा के साथ 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

जुर्माना अदा ना करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. दोषी शिक्षक त्रिलोक सिंह कठैत को न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पुरसाड़ी (चमोली) भेजा गया. वहीं मामले में राज्य सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी अभियोजन अधिकारी प्रमोद चन्द्र आर्य ने की.

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