डोनाल्ड ट्रंप की धमकी से नहीं डरे थाईलैंड-कंबोडिया

कुआलालंपुर: थाईलैंड और कंबोडिया में करीब पांच दिनों के बाद संघर्षविराम हो गया है। दोनों देशों ने बिना किसी शर्त के युद्धविराम पर सहमति जता दी है। इस लड़ाई में अभी तक कम से कम 36 लोग मारे गये हैं और हजारों लोगों को अपने घरों से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच कई दशकों से सीमा को लेकर विवाद रहा है। मौजूदा संघर्ष की वजह एक शिव मंदिर है, जिसपर दोनों ही देश दावा करते हैं।

इंटरनेशनल कोर्ट ने शिव मंदिर को लेकर कंबोडिया के हक में फैसला सुनाया था, लेकिन थाईलैंड ने शिव मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कब्जा कर लिया है। थाईलैंड और मलेशिया के बीच का युद्धविराम आसियान के प्लेटफॉर्म पर हुआ है, जिससे इस प्लेटफॉर्म की महत्ता एक बार फिर से साबित हुई है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया को युद्ध खत्म करने की धमकी दी थी। इसके अलावा उन्होंने व्यापार को आधार बनाकर दोनों देशों को चेतावनी दी थी, लेकिन दोनों ही देशों ने डोनाल्ड ट्रंप की युद्धविराम की धमकी को ठुकरा दिया था। इसके बजाए दोनों देशों के बीच आसियान के प्लेटफॉर्म पर मलेशिया ने मध्यस्थता करवाने के लिए बैठक करवाई और करीब 2 घंटे की लगातार बातचीत के बाद दोनों ही देश बिना किसी शर्त युद्धविराम के लिए राजी हो गये।

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि दोनों देश “आज रात, यानि 28 जुलाई 2025 की मध्यरात्रि, स्थानीय समयानुसार 24 घंटे से प्रभावी तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम” पर सहमत हुए हैं। आपको बता दें कि मलेशिया अभी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAMN) का अध्यक्ष है और मलेशियाई प्रधानमंत्री के आधाकारिक आवास पर ही थाईलैंड और कंबोडिया के प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक का आयोजन किया गया था। 2 घंटे की ये बैठक कामयाब रही है और पिछले पांच दिनों से जो गोलीबारी चल रही थी वो अब खत्म हो गई है।

भारत के सीनियर जियो स्ट्रैटजिस्ट ब्रह्मा चेलानी ने एक ट्वीट में लिखा है कि “डोनाल्ड ट्रंप के फोन कॉल और व्यापार धमकियों से जो काम नहीं हो पाया, वह आसियान कूटनीति के जरिए हो गया है। आसियान के वर्तमान अध्यक्ष मलेशिया द्वारा आयोजित दो घंटे की आमने-सामने की बातचीत के बाद, कंबोडियाई प्रधानमंत्री और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री आधी रात से युद्धविराम पर सहमत हुए।”

आपको बता दें कि आसियान दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसका वैश्विक महत्व काफी ज्यादा है। वर्तमान में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया, कुल 10 सदस्य हैं। इस संगठन का मकसद क्षेत्रीय शांति, सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ाना है।

इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका फोकस बाहरी शक्तियों के प्रभाव से बचते हुए अपनी संप्रभुता को बनाए रखना है। ये दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाले संगठनों में से एक है। खासकर कंबोडिया और थाईलैंड के बीच जंग रूकवाकर आसियान ने अपने महत्व को फिर से साबित किया है।

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