अंकारा: तुर्की के साथ दशकों पुराने संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेजे) ने रविवार को घोषणा की कि वह शांति प्रयासों के तहत तुर्की के सीमावर्ती क्षेत्रों से अपने सभी लड़ाकों को वापस बुला लेगी। यह फैसला तुर्की सरकार और पीकेजे के बीच चले आ रहे गुप्त वार्ताकारों की सफलता का परिणाम है, जो इस साल की शुरुआत में शुरू हुए थे। इस घोषणा से 4 दशक पुराने संघर्ष के खात्मे की उम्मीद जाग गई है।
पीकेजे के प्रमुख सेंट्रल कमिटी मेंबर मुराद कारायलान ने एक वीडियो संदेश में कहा, “हमारी लड़ाई अब हथियारों से नहीं, बल्कि संवाद से लड़ी जाएगी। तुर्की के लोगों के साथ शांति हमारा लक्ष्य है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अगले 30 दिनों में 5,000 से अधिक लड़ाके इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में स्थानांतरित हो जाएंगे।
यह कदम 2013 के शांति समझौते की याद दिलाता है, जो 2015 में टूट गया था, लेकिन अब तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्येप एर्दोगन की “नई शुरुआत” पहल के तहत पुनर्जीवित हो रहा है। तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान ने अंकारा में संवाददाताओं से कहा, “यह ऐतिहासिक क्षण है। हम कुर्द समुदाय के अधिकारों की रक्षा करेंगे, लेकिन आतंकवाद का कोई स्थान नहीं।”
तुर्की ने पिछले साल दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में सैन्य अभियान तेज किए थे, जिसमें 200 से अधिक मौतें हुईं। पीकेजे, जो यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा आतंकी संगठन घोषित है, ने 1984 से तुर्की में स्वायत्तता की मांग की है, जिससे 40,000 से अधिक लोग मारे गए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने स्वागत किया। संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा, “यह मध्य पूर्व में स्थिरता का संकेत है।” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “शानदार! मैंने हमेशा कहा था कि शांति संभव है।” यूरोपीय संघ ने तुर्की को वीजा मुक्त यात्रा पर विचार करने का संकेत दिया। हालांकि, चुनौतियां बाकी हैं।
पीकेजे के कुछ धड़े असहमत हैं, और तुर्की की संसदीय विपक्ष ने सवाल उठाए कि क्या यह स्थायी होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक सहायता और कुर्द भाषा को मान्यता जैसे कदम जरूरी हैं। इस घोषणा से तुर्की के दक्षिण-पूर्व में निवेश बढ़ेगा, जो गरीबी से जूझ रहा है।
शांति प्रक्रिया में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है। एर्दोगन ने कहा, “हम एकजुट तुर्की बनाएंगे।” यह कदम सीरिया और इराक में कुर्द मुद्दों को भी प्रभावित करेगा। दुनिया की नजरें अब अमल पर हैं। क्या यह युद्ध का अंत है।

