22 साल बाद टूटा सात फेरों का बंधन

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दयाशंकर और पूर्व में मंत्री रहीं स्वाति सिंह के वैवाहिक रिश्ते पर आज आधिकारिक तौर पर पूर्ण विराम लग गया। शादी के 22 साल के बाद दोनों के बीच तलाक हो गया। लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए विवाह को समाप्त करने का फैसला सुनाया। बताते चलें कि स्वाति सिंह ने 30 दिसंबर 2022 को फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल कर तलाक की अर्जी दी थी। दोनों की शादी 18 मई 2001 को हुई थी।

स्वाति सिंह ने इससे पहले साल 2012 में भी तलाक की अर्जी दी थी लेकिन कोर्ट में गैरहाजिर होने के कारण उनकी अर्जी को खारिज कर दिया गया था। पारिवारिक सूत्र बताते हैं कि उस वक्त तलाक तो टल गया था लेकिन दोनों के बीच रिश्ते ठीक नहीं हुए थे। साल 2022 में यह विवाद उभरकर सबके सामने आ गया था, जिसके बाद तलाक की दूसरी अर्जी दी गई और रिश्ते को खत्म कर दिया गया।

साल 2017 ऐसी परिस्थितियां बनी कि स्वाति सिंह को राजनीति में कदम रखना पड़ा। मायावती पर एक विवादित बयान के बाद दयाशंकर सिंह विवादों के घेरे में आ गए। जिसके बाद दयाशंकर के परिवार पर भी टीका टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया, तब स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला था। इसके बाद उन्हें सीधे बीजेपी महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया, फिर विधायक बनीं और मंत्री पद पर भी काबिज रहीं।

साल 2022 के चुनाव से पहले दयाशंकर सिंह ने अपनी पत्नी स्वाति सिंह के टिकट का विरोध करते हुए खुद के लिए टिकट मांगा तो रिश्तों की हकीकत सार्वजनिक हो हई। बीजेपी ने ‘एक परिवार एक टिकट’ के फार्मूले के तहत स्वाति सिंह का टिकट काटते हुए दयाशंकर सिंह को बलिया से विधायक उम्मीदवार का टिकट दे दिया।

परिवार से जुड़े लोग बताते हैं कि स्वाति और दयाशंकर सिंह कॉलेज के दिनों में विद्यार्थी परिषद में सक्रियता के चलते एक दूसरे के करीब आए थे। स्वाति उस समय एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं तो दयाशंकर लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति में जाना-पहचाना नाम हुआ करते थे। चूंकि दोनों बलिया से थे तो समय के साथ दोनों के रिश्ते प्रगाढ़ होते चले गए और 2018 में दोनों ने शादी कर ली थी।

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