जेल से रची थी देश को दहलाने की साजिश!

हल्द्वानी: खालिस्तानी टाइगर फोर्स से जुड़े आतंकी जगजीत सिंह उर्फ जग्गा उर्फ याकूब उर्फ कप्तान व आतंकी संगठन हरकत उल अंसार से जुड़े नौशाद अली की दोस्ती हल्द्वानी जेल में हुई थी। दोनों संदिग्ध आतंकी एक साल चार महीने तक एक ही बैरक में रहे।

सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि यहीं से दोनों ने आतंकी संगठनों से जुड़कर देश को दहलाने की साजिश रची। हल्द्वानी जेल का नाम सामने आने के बाद पुलिस की लोकल खुफिया एजेंसियां हरकत में आ गई हैं।

दोनों आतंकियों के साथ बैरक में बंद रहने वाले कैदियों से गोपनीय पूछताछ शुरू हो गई है। 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खालिस्तानी समर्थित आतंकियों के दो संदिग्ध सहयोगियों की निशानदेही पर भलस्वा डेरी स्थित एक घर से दो हैंड ग्रेनेड बरामद किए थे।

कमरे से एक युवक की हत्या के बाद सिर, हाथ व पैर भी मिले थे। दोनों आतंकियों ने स्पेशल सेल को बताया था कि उनकी मुलाकात जेल में हुई थी। हल्द्वानी जेल का नाम सामने आने पर स्थानीय खुफिया एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। दोनों संदिग्ध आतंकियों के हल्द्वानी में रहने के दौरान के इनपुट जुटाई जा रही हैं।

मामले की पड़ताल की तो पता चला कि संदिग्ध आतंकी 56 वर्षीय नौशाद अली पुत्र मो. युनूस मूल रूप से केवटी रनवे दरभंगा (बिहार) व हाल निवासी जहांगीरपुरी नार्थ ईस्ट (दिल्ली) का रहने वाला है। रामनगर में एक कारोबारी से रंगदारी, धमकी व जान से मारने की धारा में वह एक जनवरी 2021 को हल्द्वानी जेल लाया गया। पांच मई 2022 को वह सजा पूरी कर बाहर आ गया।

इसी तरह जगजीत सिंह उर्फ जग्गा पुत्र गुरमेल सिंह निवासी कोपा, कापली गूलरभोज, गदरपुर 29 नंवबर 2018 को हल्द्वानी जेल में आया और दो अप्रैल 2022 तक जेल में रहा। पैरोल पर बाहर आते ही वह फरार हो गया। उसके ऊपर हत्या, हत्या की साजिश, धोखाधड़ी समेत 11 धाराओं में प्राथमिकी है।

दोनों संदिग्ध आतंकी जेल के अलग-अलग बैरक में एक साल चार माह तक साथ में बंद रहे। दोनों के बीच जान पहचान दोस्ती में बदल गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार नौशाद की सजा खत्म हो रही थी।

वहीं, जग्गा को पैरोल पर बाहर आना था। दोनों ने यहीं से प्लानिंग कर ली कि बाहर जाकर बड़े अपराध की दुनिया में कदम रखेंगे। दिल्ली में जाकर आतंकी संगठनों से जुड़ गए और पहला मर्डर दिल्ली में किया। इसकी वीडियो पाकिस्तान भेजी। आशंका जताई जा रही है कि दोनों ने साजिश इसी जेल में रची।

जग्गा के जेल से पैरोल पर बाहर आने के 28 दिन बाद नौशाद भी छूट गया था। सूत्रों के अनुसार दोनों ने पहले ही कई साजिश रच ली थी। जग्गा बहन की शादी के बाद घर से फरार हो गया था। वहीं नौशाद दिल्ली में जमा हुआ था। जग्गा दो अप्रैल 2022 को बाहर आया तो नौशाद पांच मई 2022 को छूटा।

पकड़ा गया नौशाद हल्द्वानी जेल में शतरंग चैंपियन रह चुका है। जेल की ओर से कराई गई प्रतियोगिता में उसने पहला स्थान पाया था। इसके लिए उसे सम्मानित किया गया था।

शतरंग की चाल चलते-चलते उसका दिमाग अपराध की बिसात की ओर चल पड़ा। उसके नक्शे कदम पर जग्गा भी चला। दोनों ने छोटे अपराध के बाद देश को दहलाने तक की साजिश रची। इसलिए आतंकी संगठनों से जुड़ गए।

हल्द्वानी जेल की बैरक में आज भी क्षमता से अधिक अपराधी बंद हैं। यह सिलसिला तब तक चलेगा, जब तक कुमाऊं में बन रही नई जेलें अस्तित्व में नहीं आ जाती हैं। सूत्रों की मानें तो नौशाद व जग्गा संग बैरक में पहले 60 अपराधी बंद रहे। खुफिया एजेंसियां उन सभी अपराधियों की कुंडली खंगाल रही है।

बाहर आए अन्य अपराधियों पर नजर जग्गा व नौशाद के साथ बैरक में बंद रहे कई अपराधी जेल से बाहर आ चुके हैं। इसमें कुछ की सजा पूरी हो चुकी है तो कोई पैरोल पर बाहर हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसे अपराधियों पर नजर रखी जा रही है। वह क्या कर रहे हैं।

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