सजा मइया का दरबार

प्रयागराज। मां भगवती के स्तुति पर्व शारदीय नवरात्रि पर देवी मंदिर भक्तों से गुलजार रहंगे। मइया का दरबार सज गया है। मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी, मां खेमा माई, मां कालीबाड़ी सहित हर देवी मंदिर की फूलों की मालाओं, बिजली के झालरों से मंदिर की भव्य सजावट की गई है।

घंटा, घडिय़ाल, आरती की सफाई की गई। मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए दूर-दराज से भक्त मइया के दरबार में मत्था टेकने आएंगे। भक्तों को दर्शन-पूजन में दिक्कत न होने पाए उसके लिए महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन लगाने का प्रबंध किया गया है।

कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मंदिरों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। कोविड-19 नियम का पालन करते हुए भजन-पूजन कराया जाएगा। श्रद्धालुओं से मास्क लगाकर मंदिर आने की अपील की गई है। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए पूजन व आरती का प्रसारण इंटरनेट मीडिया में किया जाएगा। इसका प्रबंध हर मंदिर के प्रबंधन ने किया है।

देवी मंदिरों में दो गज की दूरी तय करने के लिए सर्किल बनाया गया है। सर्किल के बाहर निकलने की पाबंदी रहेगी। सर्किल से बाहर निकलने वाले को लाइन से बाहर कर दिया जाएगा। वहीं, मंदिरों में जनकल्याण के लिए नौ दिनों तक शतचंडी यज्ञ चलेगा। कोरोना संक्रमण का खात्मा करने की संकल्पना साकार करने के लिए यज्ञ किया जाएगा।

त्याग, साधना की प्रतीक शारदीय नवरात्रि गुरुवार को प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो जाएगी। षष्ठी तिथि हानि होने के कारण नवरात्रि आठ दिनों की रहेगी। सनातन धर्मावलंबी संगम, गंगा व यमुना के पवित्र जल में स्नान करने के बाद घरों में घट (कलश) की स्थापना करके मां भगवती के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन करेंगे।

मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करके मइया की भक्ति में लीन रहेंगे। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र का व्रत रखकर साधना करने वालों के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं का शमन कर मां भगवती वैभव, यश-कीर्ति प्रदान करती हैं। मां भगवती पालकी पर सवार होकर आएंगी।

सनातन धर्म के मर्मज्ञ इसे शुभ संकेत बता रहे हैं। मइया के पालकी पर आने से समाज में नारी का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। फसल अच्छी होगी, जिससे धन-धान्य व समृद्धि बढ़ेगी। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार प्रतिप्रदा तिथि गुरुवार की दोपहर 3.28 बजे तक है, जबकि 3.29 बजे से द्वितीया तिथि लग जाएगी। ऐसी स्थिति में कलश स्थापना तीन बजे से पहले करना उचित रहेगा।

घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दिन में 11.37 से 12.23 बजे तक है। बताते हैं कि 11 अक्टूबर सोमवार की सुबह 6.21 बजे तक पंचमी तिथि है, जबकि सूर्योदय 6.17 बजे होगा। इससे षष्ठी तिथि का प्रभाव दिनभर रहेगा। वहीं, सुबह 6.22 बजे से सप्तमी तिथि लगकर मंगलवार की भोर 4.05 बजे तक रहेगी। इसके मद्देनजर 11 अक्टूबर को मइया के षष्ठी व सप्तमी स्वरूप का पूजन होगा।

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार मां भगवती निष्काम भाव, पवित्र तन व मन से करनी चाहिए। व्रती साधक को क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए। उन्हें कन्या, माता, पिता और ब्राह्मणों का सम्मान करते हुए दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए। मां को अर्पित होने सामग्री का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। कामना के अनुरूप अर्पित सामग्री भक्तों की मनोकामना पूरी करने में सहायक होती है।

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