एक हजार एकादशी का फल देता है श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का व्रत

लखनऊ। इस वर्ष जन्माष्टमी को लेकर भी संशय की स्थिति है। कोई 18 तो कोई 19 अगस्त को जन्माष्टमी की तिथि बता रहा है। ऐसे में हम आपको बता रहे कब है जन्माष्टमी और गृहस्थ और साधु संत के लिए जन्माष्टमी मनाने की तिथि क्या है।

जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार दो दिन की जन्माष्टमी है, लेकिन गृहस्थ और साधु संत के लिए अलग-अलग तिथि है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एक हजार एकादशी का फल देता है। अपने वेद ग्रंथों में यह मान्यता है कि इस व्रत से सौ जन्मों के पाप मिट जाते हैं।  जो लोग एकादशी का व्रत नहीं रहते उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत जरूर रखना चाहिए।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि के चंद्रमा में हुआ था। इसी कारण हर साल इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी इस बार दो दिन मनाई जाएगी। पहली 18 अगस्त को होगी, जिसे गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग मनाएंगे।

वहीं, 19 अगस्त की साधु-संत जन्माष्टमी मनाएंगे। इस बार जन्माष्टमी काफी खास होने वाली है, क्योंकि इस दिन काफी विशेष योग बन रहे हैं। इस दिन वृद्धि योग भी लग रहा है। मान्यता है कि जन्माष्टमी पर वृद्धि योग में पूजा करने से आपके घर की सुख संपत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी का वास होता हे।

जन्माष्टमी इस साल 18 अगस्त गुरुवार को है। अष्टमी तिथि 18 अगस्त को शाम 09:21 से प्रारंभ होगी, जो कि 19 अगस्त को रात 10:59 पर समाप्त होगी। वृद्धि योग 17 अगस्त को दोपहर 08:56 से 18 अगस्त रात 08:41 तक रहेगा। धुव्र योग 18 अगस्त रात 08:41 से 19 अगस्त रात 08:59 तक रहेगा।

शहर के मंदिरों में भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। वहीं, बाजार में भी जन्माष्टमी की रौनक है। मंदिरों में जन्माष्टमी पर कई प्रतियोगिताएं भी होंगी, जिसके लिए भी तैयारियां हो रही हैं। शहर के कई मंदिरों में जन्माष्टमी के पूजन का लाइव प्रसारण करने का भी प्रबंध किया गया है।

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