तिरंगा यात्रा से लोगों की आंखों में लौटती दिखी आपसी सद्भाव की चमक

नई दिल्ली । हिंसा के आठ दिनों के बाद रविवार को जहांगीरपुरी का नजारा बदला-बदला सा था। शाम होने के कारण सूरज बेशक धीरे-धीरे ढल रहा था, लेकिन जहांगीरपुरी में आपसी सद्भाव की एक नई रोशनी निकल रही थी। हवा में लहराते तिरंगे के बीच भारत माता की जयघोष के साथ लोगों के चेहरे से दहशत के भाव दूर हो रहे थे तो आंखों में आपसी भरोसे और विश्वास की पुरानी चमक लौटती दिखाई दे रही थी।

जहांगीरपुरी के जिस कुशल चौक के निकट हनुमान जन्मोत्सव की शोभायात्रा पर 16 अप्रैल को पथराव के बाद हिंसा की चिंगारी भड़क उठी थी, हवा में बारूद की गंध घुल गई थी, वहां 24 अप्रैल की शाम दोनों समुदाय ने मिलकर जब तिरंगा यात्रा निकाली तो माहौल में देशभक्ति के साथ सामाजिक सौहार्द का रस घुल गया।

तिरंगा यात्रा के दौरान लोग भारत माता की जय के साथ हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई के नारे भी लगा रहे थे। यात्रा सी और बी ब्लाक की गलियों में घुसी तो महिलाएं हाथों में तिरंगा लेकर लोगों का स्वागत करती दिखीं। छतों से लोग फूल बरसाने लगे।

करीब एक घंटे के दौरान जहांगीरपुरी के विभिन्न ब्लाकों से तिरंगा यात्रा को शांतिपूर्ण संपन्न कराना उत्तर-पश्चिमी जिला पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती थी। ऐसे में डीसीपी उषा रंगनानी यात्रा की व्यवस्था की कमान खुद संभाले हुए थीं और हाथ में माइक लेकर सबसे आगे चलते हुए सुरक्षाकर्मियों की अगुवाई भी कर रही थीं। ऐसे तो यात्रा की सुरक्षा में बड़ी संख्या में पुलिस, अर्ध सैनिक बलों के जवान तैनात किए गए थे और पैदल ही साथ साथ चल रहे थे।

पूरी यात्रा की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही थी, लेकिन दोनों ही समुदाय के लोगों ने संयम और सद्भाव की मिशाल पेश करते हुए न केवल सुरक्षा की चुनौतियों को कमतर किया बल्कि यह संदेश भी दिया कि अंसार, सलीम, युनूस, मुख्तियार जैसे लोगों के नापाक मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे।

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