नंबर हैं कम, तो क्या गम!

उदय दिनमान डेस्कः एग्जाम के नतीजे जब आते हैं तो उसे देखने से पहले धड़कनें बढ़ गईं होती हैं। ये सबके साथ होता है। कोई मेधावी स्टूडेंट हो या पढ़ाई-लिखाई में औसत। कितने नंबर आएंगे। अगर औसत स्टूडेंट है तो पास होंगे या फेल। शुक्रवार को सीबीएसई ने 12वीं के नतीजे घोषित किए। 87.33 प्रतिशत स्टूडेंट पास हुए। 12.67 प्रतिशत बच्चे पास नहीं हो पाए। संख्या में कहें तो करीब 2 लाख 10 हजार बच्चे।

ये सही है कि आगे बढ़ने के लिए, लगातार बढ़ने के लिए बड़ी से बड़ी उपलब्धि पर भी संतुष्ट होकर नहीं रुका जाता। और बेहतर करने की भूख होनी चाहिए। लेकिन ‘बेहतर’ होना क्या है? क्या एग्जाम में ‘अच्छे नंबर’ होना ही कामयाबी की गारंटी है? ये नंबर ही तो हैं।

नंबर से किसी की काबिलियत को भांपने में मदद मिल सकती है लेकिन यह काबिलियत और कामयाबी का पैमाना नहीं है। आपकी पहचान एग्जाम में आए नंबरों से नहीं होती है। तमाम बोर्ड्स के रिजल्ट निकलते हैं। अखबारों में टॉपरों की खबरें छपती हैं, तस्वीरें छपती हैं। लेकिन आपको कितने टॉपरों के नाम याद हैं? शायद, नहीं याद होंगे।

एग्जाम में ज्यादा नंबर का मतलब जिंदगी में कामयाबी और कम नंबर का मतलब नाकामी, ऐसा नहीं होता। एग्जाम के नंबरों को लेकर बच्चे जो दबाव महसूस कर रहे हैं, उसी को देखकर पिछले साल आईएएस अफसर अवनीश शरण ने अपनी दसवीं की मार्कशीट ट्विटर पर शेयर की थी। दसवीं में वह थर्ड डिविजन से पास हुए थे। इसलिए नंबर को हद से ज्यादा तवज्जो देना छोड़िए।

सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में इस साल करीब 17 लाख स्टूडेंट बैठे थे। लेकिन इनमें से करीब 2 लाख 10 हजार फेल हो गए। तो क्या ये 2 लाख स्टूडेंट किसी काम के नहीं हैं? ऐसा बिल्कुल नहीं है। फिर प्रयास कीजिए, और ज्यादा क्षमता के साथ कीजिए। कोशिश करते रहिए। कुछ भी असंभव नहीं।

आईएएस अफसर अंजू शर्मा को ही देख लीजिए। 10वीं में फेल हुईं। बारहवीं में फेल हुईं। लेकिन सिर्फ 22 साल की उम्र में, पहले ही प्रयास में यूपीपीएससी क्रैक कर लीं। तो निराश बिल्कुल न होना। और हां, याद रखिए। ये एग्जाम है, जिंदगी नहीं। ये महज मार्क्स हैं, जिंदगी के मकसद नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *