केदारनाथ का परंपरागत मार्ग दोबारा होगा शुरू

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ के परंपरागत मार्ग को दोबारा शुरू करने की उम्मीद जगी है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने रास्ते के निर्माण के लिए चिन्हित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर केंद्र सरकार को भेज दिया है। मंजूरी के बाद भूमि हस्तांतरण की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो यात्राकाल में परंपरागत रास्ते का निर्माण शुरू हो जाएगा।

आपदा के बाद 2016 से केदारनाथ यात्रा को प्रतिवर्ष नया आयाम मिल रहा है। यात्रा बढ़ने के साथ ही परंपरागत रास्ते को पुनर्जीवित करने के लिए बीते तीन वर्ष से प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है जो अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। केदारनाथ वन्य जीव के भूमि सर्वेक्षण के प्रस्ताव को राज्य स्तर पर स्वीकृति के बाद अब केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। जहां इसे अगले दो माह में स्वीकृति मिलने की उम्मीद है।

इसके बाद वन भूमि हस्तांतरण के बाद स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से रास्ता निर्माण की कार्रवाई की जाएगी। इस रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ की पैदल यात्रा भी आसान हो जाएगी। अधिकारियों की मानें तो आने वाले वर्षों में परंपरागत रास्ते के अस्तित्व में आने पर यात्राकाल में घोड़ा-खच्चरों का संचालन इसी रास्ते से कराया जाएगा।

आपदा में गौरीकुंड-रामबाड़ा-केदारनाथ पैदल मार्ग रामबाड़ा से केदारनाथ तक कई जगहों पर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। केदारनाथ तक पहुंच के लिए मार्च 2014 में रामबाड़ा में मंदाकिनी नदी के दाई तरफ से नया रास्ता बनाया गया जिस पर यात्रा का संचालन हो रहा है। मार्ग पर जहां रामबाड़ा से लिनचोली तक तीखे मोड़ व चढ़ाई है वहीं यह पूरा क्षेत्र एवलांच जोन है।

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ इंद्र सिंह नेगी ने बताया कि परंपरागत रास्ता के पुनर्निर्माण को लेकर भू-सर्वेक्षण की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। साथ ही प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि अप्रैल तक स्वीकृति मिल जाएगी।

परंपरागत रास्ता बनने से पीएम मोदी की तपस्थली गरूड़चट्टी दो तरफा जुड़ जाएगा। साथ ही यात्राकाल में यहां काफी संख्या में यात्री रात्रि विश्राम भी कर सकेंगे। केदारनाथ से गरूड़चट्टी को जोड़ने के लिए बीते वर्ष मंदाकिनी नदी पर स्टील गार्डर पुल बनकर तैयार हो चुका है।

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