नई दिल्ली: मौसम का पूर्वानुमान देने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने इस साल मानसून सामान्य से कम रहने का अनुमान जताया है। इस अनुमान के चलते केंद्र सरकार अभी से सतर्क हो गई है। उसने कहा है कि उसका पूरा फोकस है कि खाद्य चीजों के रिटेल दामों पर इसका असर ना हो। इसके लिए एक खास रणनीति पर काम किया जाएगा।
एक सीनियर अधिकारी के अनुसार हमारा पूरा फोकस इस बात पर रहेगा कि फूड आइटम के उत्पादन पर ज्यादा असर ना हो। खाद्य वस्तुओं की सप्लाई जारी रहे। बारिश की कम बौछारों से फूड ग्रेन प्रोडक्शन पर असर पड़ सकता है। कोशिश होगी कि इस असर को कम से कम किया जा सके। अगर प्रोडक्शन कम हुआ तो महंगाई भी बढ़ सकती है। ऐसे में पूरी कोशिश होगी कि सप्लाई के मोर्चे पर कोई कमी नहीं आए।
गौरतलब है कि स्काईमेट ने बताया है कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) की 94 फीसदी बारिश हो सकती है। यदि मानसून LPA का 96 से 104 फीसदी होता है तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है। इसी तरह यदि बारिश 90 से 96 फीसदी के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश यानी सूखा पड़ना कहा जाता है।
इकोनॉमिस्ट एस. के. वेंकटेश का कहना है कि आज की तारीख में हमारे देश में 70 फीसदी से ज्यादा किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है। खराब मानसून होने पर महंगाई भी बढ़ती है। अगर कृषि उत्पादन कम हुआ तो इसका व्यापक असर देश की इकॉनमी, किसान और आम लोगों की जेब पर पड़ सकता है।
चुनावी साल में केंद्र सरकार ने आम लोगों को राहत देने का काम शुरू कर दिया है। पहले स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई। होम लोन को और महंगा नहीं किया गया। इसके बाद नैचुरल गैस की कीमत तय करने के फॉर्मूले में बदलाव कर गैस को सस्ता किया गया। सूत्रों के अनुसान इसी क्रम में सरकार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर आम आदमी को एक और राहत दे सकती है।
इस बारे में मंथन जारी है। तेल कंपनियों की बैलेंस शीट को देखने के अलावा इस बात का आकलन किया जा रहा है कि एक्साइज ड्यूटी की कटौती इस प्रकार की जाए कि आम आदमी को राहत मिलें, साथ ही सरकार की कमाई पर ज्यादा असर ना हो। जो असर पड़े उसकी भरपाई भी आसानी से हो सके।
सूत्रों का कहना है कि मुफ्त अनाज देने पर दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया जा रहा है। सरकार ने इसको एक साल के लिए बढ़ा दिया है। आगे भी बढ़ाने की नौबत आ सकती है। सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती है कि खर्च और आमदनी के अंतर को तय लक्ष्य के भीतर कैसे रखा जाए। वैसे भी सरकार पर कुल कर्ज 150 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। यही कारण है कि आम लोगों को राहतें भी काफी कुछ कैलकुलेशन करके दी जा रही है।
केंद्र ने 21 मई, 2022 को पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाया था। इस कटौती के बाद पेट्रोल पर 19.90 और डीजल पर 15.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूला जा रहा है। गौरतलब है कि 1 अप्रैल, 2014 को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर थी।
गौरतलब है कि इस वक्त अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव के बावजूद तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम करीब नौ महीनों से नहीं बढ़ाए हैं। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये, जबकि डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है।