गर्मी से अभी नहीं मिलेगी राहत

नई दिल्ली। देश में गर्मी अपने चरम पर है और लोगों की निगाहें मानसून पर टिकी हुई हैं। अभी बारिश के लिए कुछ दिन और इंतजार करना करना पड़ेगा। ऐसा बताया जा रहा है कि इस बार मानसून 4 जून के करीब देश में दस्तक देगा। मौसम विभाग ने बताया है कि मानसून इस बार तीन दिन की देरी से आएगा। अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि देश में बारिश कितनी होगी।

आईएमडी ने अपने बयान में कहा है कि केरल में मानसून की शुरुआत 1 जून की जगह 4 जून को होने की संभावना है। हालांकि, तीन दिन की देरी कोई खास देरी नहीं है। आईएमडी के अधिकारी ने कहा कि हमने पिछली रिकॉर्ड में देखा है कि मानसून में सात दिनों तक की देरी हुई है।

पिछले आंकड़ों पर नजर डालें, तो पिछले साल आईएमडी ने मानसून के 27 मई को आने की भविष्यवाणी की थी, जो कि 29 मई को आया था। इसी तरह 2019 में आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि मानसून 6 जून को आएगा, जबकि यह 8 जून को आया था।भारत में चार महीने के बारिश के मौसम का आगमन तभी मानी जाती है, जब केरल में मानसून की शुरुआत होती है। हालांकि, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में यह मानसून भारत के दो सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख के लिए परिचालन पूर्वानुमान जारी करता रहा है। साल 2005 से ही आईएमडी ऐसा कर रहा है। अगर पिछली रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जाए, तो अब तक विभाग की ओर से बताए गए तारीख हमेशा सही रहे हैं। हालांकि, साल 2015 में मानसून की शुरुआत की जो तारीख बताई गई थी, उसके काफी समय बाद देश में मानसून शुरू हुआ था।

मौसम विभाग ने 2019 में मानसून की शुरुआत 6 जून को बताया था, लेकिन उस साल मानसून 9 जून को शुरू हुआ था। इसके देर से आगमन का मौसम पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था और न ही इसके कारण बारिश कम हुई थी। हालांकि, ऐसे अन्य कई कारण हैं, जिससे वर्षा ऋतु प्रभावित हो सकती है।

2019 में मानसून के देरी से आने के बावजूद सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। इसलिए, कहा जा सकता है कि देरी को कमजोर मानसून के संकेत के रूप में नहीं देखा जा सकता है।

ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इस महीने के अंत में आईएमडी मासिक और स्थानिक वितरण पर सटीक पूर्वानुमान जारी किया जा सकता है। उम्मीद है कि केरल में मानसून के आगमन से ठीक पहले 31 मई को यह पूर्वानुमान जारी किया जा सकता है।

आईएमडी ने अप्रैल में एक भौगोलिक वितरण पूर्वानुमान बनाया था, जिसमें केवल यह कहा गया था कि इस बार मानसून सामान्य से नीचे रहेगा। गर्मियों के मौसम में उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों, गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य भागों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान लगाया गया था। इसमें कहा गया कि प्रायद्वीप क्षेत्र के कई हिस्सों और इससे सटे पूर्व मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्र और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में मानसून सामान्य रहेगा।

अल नीनो का मतलब, पूर्वी प्रशांत महासागर में सतह के पानी का असामान्य रूप से गर्म होना है। यह आमतौर पर कमजोर मानसून से जुड़ा होता है, लेकिन यह हमेशा कमजोर मानसून का कारण नहीं रहा है। पिछली रिकॉर्ड देखे जाए, तो पता चला है कि अल नीनो के 40 प्रतिशत वर्षों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई थी। आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 1951 और 2022 के बीच 15 अल नीनो वर्ष रहे थे, जिनमें से छह साल सामान्य से अधिक सामान्य वर्षा वाले थे।

यदि साल 2023 अल नीनो वर्ष है, तो दुनिया के कई हिस्सों में तापमान अधिक होगा। इसका असर मानसून पर भी पड़ेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि इस साल मानसून कमजोर रहने वाला है।

एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ने इस साल मानसून के सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की है, जबकि आईएमडी का कहना है कि यह सामान्य रहेगा। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि उन्हें किस पर विश्वास करना चाहिए।

दरअसल, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग एक राष्ट्रीय फॉरकास्टर और देश की एकमात्र नोडल एजेंसी है, जिसे विश्व स्तर पर स्वीकार किया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन आईएमडी को मान्यता देता है। इसमें एक सिद्ध बुनियादी ढांचा पद्धति और मूल्यांकन विशेषज्ञता है। हमें आईएमडी के पूर्वानुमानों के अनुसार चलना चाहिए।

आईएमडी के डीजी मृत्युंजय महापात्रा ने हाल ही में लोगों से आईएमडी में विश्वास करने के लिए कहा था कि इसका पूर्वानुमान न केवल विवेकपूर्ण, उचित और समय पर दिया जाता है, बल्कि इसकी जवाबदेही भी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *