पहाड़ी पर चढ़े टस्कर समेत तीन गजराज

अल्मोड़ा: कोरोनाकाल में लाकडाउन के बाद एक बार फिर गजराज पहाड़ की चढ़ाई चढ़ते दिखे हैं। पारंपरिक दक्षिणी पातली दून कारीडोर से लगे तड़म गांव की पहाड़ी पर तीन हाथियों की चढाई वाला वीडियो पिछले आठ दस दिन से इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है।

ग्रामीणों के लिए यह चौंकाने वाला है तो वन्यजीव विशेषज्ञ इसे सामान्य बताते हैं। उनका तर्क है कि राजाजी नेशनल पार्क से वाया लैंसडौन आने-जाने वाले हाथी इस पुराने कारीडोर तक पहुंच जाते हैं और पहाड़ी से आसानी से उतर भी आते हैं। दो साल पहले सल्ट के शशिखाल व व दागुला गांव तक गजराज पहुंच गए थे

रामगंगा जलागम क्षेत्र में कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से लगे मछोड़ उप तहसील स्थित तड़म गांव की पहाड़ी हाथियों को खासी पसंद आ रही है।

पास ही ऋषिधार से गोंतापानी, फनोई, डाज्ञाडी होते हुए भलीधार की पहाड़ी पर मदमस्त चाल से चढ़ाई कर रहे तीन हाथियों की वीडियो फुटेज को स्थानीय ग्रामीणों ने मोबाइल कैमरे में कैद किया है। इनमें एक टस्कर और दो हथिनी हैं। तीनों खड़ी पहाड़ी पगडंडियों पर धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं।

इस क्षेत्र में हाथियों का पहाड़ चढ़ना सामान्य घटना है। तड़म हाथी कारीडोर है और साउथ पातली दून कारीडोर से जुड़ा है। बेशक अब कम इस्तेमाल होता है, लेकिन हाथी घूमते भटकते इस ओर पहुंच जाते हैं। भौनखाल तक तो हाथियों की मौजूदगी रहती ही है।

वहां से एक रोड तड़म की ओर जाती है इसलिए हाथी इस ओर रुख कर जाते हैं। राजाजी से वाया लैंसडौन की तरफ से आने वाले हाथी इसी कारीडोर तक पहुंच जाते हैं। पहाड़ी से उतर कर इसी कारीडोर से वापस भी हो लेते हैं।

वन्यजीवों पर लगातार अध्ययन में जुटे एजी अंसारी के अनुसार देशभर में हाथी कारीडोर चिह्नित करने के लिए 2008 में भारत सरकार, वन विभाग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया ने संयुक्त सर्वे शुरू किया था। दक्षिणी पातली दून से लगा तड़म कारीडोर तभी चिह्नित हुआ था।

दो किमी चौड़ा तथा 4.5 से पांच किमी लंबा यह गलियारा आबादी से लगभग डेढ़-दो किमी दूर है। हाथी रामबांस व जंगली बांस का शौकीन होता है। तड़म व ऊपरी पहाड़ियों पर पसंदीदा वनस्पति मिलने के कारण उस ओर बढ़ जाते हैं। अमूमन हाथी निर्जन गलियारे से ही आवाजाही करते हैं।

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