रुद्रप्रयाग।तिलवाड़ा बाजार के अस्तित्व पर संकट, अब नहीं दिखेगी वो भीड़ ! इतिहास गवाह है कि विकास की आंधी की भेंट वह चढ़ जाता है जो इतिहास के पन्नों में कई कहानियां संजोये है। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा मार्ग का एक प्रमुख पड़ाव भी विकास की भेंट चढ़ने वाला है। इस प्रमुख पड़ाव के समाप्त होने का सिलसिला शुरू हो गया है और जल्द यहां पर मात्र खंडहर दिखेंगे। जो बाजार कभी पहाड़ की संस्कृति से हमे रूबरू करवाता था अब उसका अंत समय आ गया है। हालांकि विकास की भेंट चढ़ने के बाद यहां कुछ नया होगा लेकिन नये पन्न में वो बात कहां!
चलिए आपका बताते है विस्तार से-आपको बता दें कि केदारनाथ धाम यात्र का प्रमुख पड़ाव तिलबाड़ा अपने आप में इतिहास को संजोये है। इस बाजार में मैंने उत्तराखंड के पहाड़ की संस्कृति, सभ्यता और आधुनिकता की चकाचैंध के साथ बदलते देखा है।अब आने वाले समय में बाजार नये रूप में तो आ जाएगा लेकिन इस बाजार में उत्तराखंड के पहाड़ की वो संस्कृति नहीं दिखेगी जो सदियों से दिखती है। आधुनिकता की चकाचैंध में आने वाले समय में बाजार दिखेगा और इसके बाद बाजार का वह पुराना स्वरूप इतिहास बन जाएगा।
आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले का सबसे भीड़-भाड़ वाला कस्बा और केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव में शामिल तिलवाड़ा बाजार का नक्शा जल्द ही बदल जाएगा। ऑवलदेर रोड के तहत हो रही कटिंग में शहर की ऊपर वाली सभी दुकानें को हटाने की तैयारी बरसात के बाद शुरु कर दी जाएगी। व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि कस्बे के लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग बाजार में मात्र दस मीटर के दायरे में स्थित दुकानों को ही हटाया जा रहा है, जबकि यहां 24 मीटर अधिग्रहण कर इसके दायरे में आने वाले सभी निर्माण को हटाया जाना है। बड़ी संख्या में दुकानें हटाने से सैकड़ों व्यापारी बेरोजगार हो जाएंगे। जखोली विकास खंड के भरदार, सिलगढ़, बढ़मा, लस्या समेत अगस्त्यमुनि विकास खंड की सौ से अधिक ग्राम सभाओं का आजादी के समय से ही तिलबाड़ा बाजार केंद्र बिंदु रहा है, जिससे यह कसबा जनपद का सबसे ज्यादा व्यस्त कसबा माना जाता है, बड़ी संख्या में रोजाना ग्रामीण क्षेत्रों के लोग यहां आते हैं और खरीददारी कर वापस शाम को आपने गांव चले जाते हैं।
इसके साथ ही गंगोत्री, यमुनोत्री से आने वाले यात्री भी इसी रास्ते केदारनाथ जाते हैं और यह ऋषिकेश से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों का मुख्य मार्ग भी है। यात्रा और स्थानीय स्तर पर इतना महत्व होने के बावजूद इस कसबे का अब अस्तित्व ही खतरे में है। सरकार की ओर से आलवेदर रोड के तहत कसबे के अस्तित्व को बचाने के लिए बाइपास भी नहीं बनाया गया, जबकि जनपद के अगस्त्यमुनि, चंद्रापुरी, गुप्तकाशी आदि स्थानों पर बाइपास बनाकर शहर को बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन तिलवाड़ा बाजार को बचाने में उदासीनता दिखाई जा रही है। आलवेदर रोड के तहत कसबे से गुजरने वाली सड़क को चौड़ा किया जाना है।
इसके लिए नेशनल हाइवे और लोक निर्माण विभाग द्वारा 24 मीटर चौड़ाई में आने वाली भूमि का अधिग्रहण किया गया है। जिससे यहां के लगभग तीन सौ बीस व्यापारी इसकी चपेट में आ रहे हैं। जिनके प्रतिष्ठान और दुकानें कटिंग के कारण क्षतिग्रस्त हो जाएंगी। इससे सैकड़ों व्यापारी बेरोजगार तो होंगे ही, साथ ही पूरे कसबे का अस्तित्व भी संकट में है। क्यों कि जिस ओर मुख्य बाजार है ज्यादातर बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान और दुकानें भी उसी तरफ हैं।
स्थानीय व्यापारी सरकार पर व्यापारियों के साथ धोखा करने का आरोप भी लगा रहे हैं। व्यापार संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र सकलानी का कहना है कि रुद्रप्रयाग शहर की बात करें तो यहां मात्र दस मीटर की परिधि में ही निर्माण को हटाया जाना है, जबकि तिलवाड़ा में 24 मीटर निर्माण को हटाए जाने की बात कही जा रही है।
अब तक तमाम मंचों और मुख्यमंत्री से भी अपनी बात यहां के लोग कह चुके हैं, लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं हो पाई है। वहीं कार्यदायी संस्था बरसात के बाद प्रस्तावित क्षेत्र से दुकानें हटाने की तैयारी कर रही है। व्यापारी विक्रम सिंह कंडारी का कहना है कि तिलवाड़ा में आवश्यकता से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जबकि अन्य कसबों में मात्र दस मीटर ही निर्माण हटाया जा रहा है।
नेशनल हाईवे के अधिशासी अभियंता जेपी त्रिपाठी ने बताया कि बरसात के बाद तिलवाड़ा में अधिग्रहण की गई भूमि से सभी निर्माण हटा दिया जाएगा। 24 मीटर भूमि अधिग्रहण किया गया है। निर्माण हटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।