मुख्यमंत्री ने प्रदेश को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी और जनता के समर्थन को इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि यह अभिनंदन समारोह केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के सपने को साकार करने का उत्सव है। यह सम्मान उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता का है, जो ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल्यों के साथ राज्य के विकास की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि यह जनता के विश्वास, ईमानदारी की ताकत और युवाओं की उम्मीदों की जीत है। राज्य सरकार ने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग किया है, जिसमें ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया, परीक्षा प्रणाली की निगरानी और जन शिकायत निवारण के लिए सीएम हेल्पलाइन 1905 और भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिए 1064 जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता, ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार और योजनाओं में कमीशनखोरी जैसे मामलों में कठोर कार्रवाई की गई। पिछले तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त 200 से अधिक लोगों को जेल भेजा गया है। पिछले चार वर्षों में राज्य में 24 हजार से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में छद्म वेशधारियों की मूल पहचान उजागर करने के लिए “ऑपरेशन कालनेमि” चलाया जा रहा है। अब तक 200 से अधिक संदिग्धों को पकड़ा गया है, जिनमें कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि ऐसे तत्वों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
इस अवसर पर विधायक श्री खजान दास, स्वामी चिदानंद सरस्वती, श्री किशन गिरी महाराज, श्री राकेश ओबेरॉय, श्री पंकज गुप्ता एवं विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।