जोशीमठ: जोशीमठ में भगवान बदरी नारायण के शीतकालीन पूजा स्थल नृसिंह मंदिर अभी पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन, भविष्य के खतरे को देखते हुए श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के के करोड़ों के खजाने को सुरक्षित रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
इसके तहत पीपलकोटी स्थित मंदिर समिति की धर्मशाला में खजाने को सुरक्षित रखा जा सकता है। मंदिर समिति की ओर से इस धर्मशाला का निरीक्षण कर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। यात्राकाल में श्रद्धालु नकद धनराशि के अलावा सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात, जेवर, बर्तन व अन्य सामान भगवान बदरी नारायण को दानस्वरूप भेंट करते हैं।
नकद धनराशि समेत यह संपूर्ण सामान कपाट बंद होने के साथ ही जोशीमठ लाकर नृसिंह मंदिर स्थित समिति के मुख्य कार्यालय के खजाने में जमा करा दिया जाता है। जबकि, कपाट खुलने के साथ ही इस खजाने को बदरीनाथ स्थानांतरित किया जाता है।
बताया गया कि खजाने में करोड़ों की नकदी के अलावा 30 क्विंटल चांदी, 45 किलो से अधिक सोना व बेशकीमती जेवरात शामिल हैं। अब जबकि भूधंसाव के चलते नृसिंह मंदिर के आसपास भवनों पर दरार आ गई हैं।
ऐसे में मंदिर समिति का खजाने को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है। मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने खजाने को सुरक्षित रखने के लिए अधिकारियों के साथ पीपलकोटी स्थित मंदिर समिति की धर्मशाला का निरीक्षण किया और प्रथमदृष्ट्या उसे सुरक्षित भी माना।
अजेंद्र ने सोमवार को नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिर परिसर और वहां स्थित मंदिर समिति के खजाने का निरीक्षण भी किया। साथ ही खजाने के सुरक्षा उपायों को भी परखा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यदि मंदिर परिसर में भूधंसाव का संकट खड़ा होता है तो खजाना स्थानांतरित करने के लिए तत्काल कदम उठाना सुनिश्चित करें।
‘मंदिर समिति स्थिति पर नजर रखे हुए है। अगर भूधंसाव के चलते भगवान बदरी नारायण के खजाने वाले स्थल को कोई खतरा पैदा होता है तो इसे सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा। इसके लिए पीपलकोटी स्थित मंदिर समिति की सर्वथा उपयुक्त पाया गया है।’ज्योतिष्पीठ के संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने नृसिंह मंदिर परिसर में जोशीमठ रक्षा महायज्ञ के तहत सहस्र चंडी महायज्ञ शुरू कर दिया है।
यज्ञ के तहत दुर्गा सप्तशती का एक हजार बार पाठ किया जाएगा। 100 दिन तक चलने वाले इस यज्ञ में 10 लाख आहुतियां डाली जाएंगी। यज्ञ में ज्योतिर्मठ के संतों के साथ जोशीमठ के आपदा प्रभावित भी हिस्सा ले रहे हैं। सोमवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नगर में आपदा प्रभावित राहत कैंपों में जाकर प्रभावितों से बातचीत की।
इस दौरान उन्होंने दुख की घड़ी में प्रभावितों को धैर्य रखने को कहा। तहसील में धरना दे रहे आपदा प्रभावितों को संबोधित करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ये लोकतंत्र की खूबसूरती है कि हम अपनी बात कहकर उसे मनवा सकते हैं, बशर्ते हमारे अंदर कोई फूट ना हो। हम यदि एक रहेंगे तो सदा हमारी विजय होगी।
इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि ज्योतिर्मठ आपदा सेवालय जोशीमठवासियों की सेवा में तत्पर रहेगा। उन्होंने ज्योतिर्मठ आपदा सेवालय के सदस्यों को प्रभावित क्षेत्रों तथा राहत शिविरों में जाकर लोगों की सहायता को प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने आनंद सती को ज्योतिर्मठ का पुरोहित नियुक्त किया।