वेस्‍ट से फैशनेबल कपड़े

नई दिल्‍ली: प्‍लास्टिक वेस्‍ट दुनिया के लिए एक समस्‍या है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। देश के 25 राज्‍यों में सिंगल-यूज प्‍लास्टिक बैन है। इसके बावजूद करीब 35 हजार टन प्‍लास्टिक का उत्‍पादन होता है। सेंट्रल पल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCP) की रिपोर्ट यह बात कहती है।

आने वाले कुछ सालों में यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ सकता है। इस स्‍थ‍िति से निपटने की जरूरत है। इसी सोच के साथ 22 साल की सारा लखानी ने अपने कदम बढ़ाए हैं। वह प्‍लास्टिक को खूबसूरत एम्‍ब्रॉयडरी में बदलने के मिशन पर हैं। वेस्‍ट पॉलीथीन बैग से सारा लखानी धागा बनाती हैं। फिर इसका इस्‍तेमाल कांथा एम्‍ब्रॉयडरी में होता है।

यह एम्‍ब्रॉयडरी की खास तरह की पारंपरिक शैली है। सारा परेशान होने के बजाय समाधान तलाशने में भरोसा रखती हैं। प्‍ल‍ास्‍टि‍क वेस्‍ट से बनी उनकी क्‍लोद‍िंंग लाइन ने प‍िछले साल लैक्‍मे फैशन वीक में जगह बनाई। यह उनके ल‍िए यादगार लम्‍हा था।

सारा लखानी महाराष्‍ट्र के छोटे से शहर गढ़चिरौली की रहने वाली हैं। यह नागपुर के करीब है। उन्होंने प्‍लास्टिक कचरे को खूबसूरत एम्‍ब्रायडरी में बदलने का बीड़ा उठा लिया है। वह इसमें सफल भी हो रही हैं। पिछले साल हुए लैक्‍मे फैशन वीक में उनका लेटेस्‍ट कलेक्‍शन ‘ट्रैश ऑर ट्रेजर’ शोकेस किया गया। इस कलेक्‍शन को बनाने में 200 से ज्‍यादा पॉलीथीन बैग्‍स का इस्‍तेमाल किया गया था।

22 साल की सारा को बचपन से प्रकृति और पेड़ों से खास लगाव है। उनके पिता फार्मास्‍यूटिकल्‍स फील्‍ड से जुड़े थे। इसी का उनका ब‍िजनस था। तब सारा ने देखा क‍ि इस इकलौती फील्‍ड में ही क‍ितना प्‍लास्टिक वेस्‍ट जनरेट होता है। उन्‍हें एहसास हुआ कि यह पर्यावरण को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

जब अपने कपड़ों के कलेक्‍शन के लिए डिजाइनिंग की बारी आई तो सारा को साफ आइडिया था कि उन्‍हें क्‍या करना है। उन्होंने एम्‍ब्रॉयडरी के कई तरीकों पर प्रयोग किया। फिर अंत में पाया कि कांथा सबसे उपयुक्‍त है। सबसे बड़ी बात यह थी कि इसमें प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल हो सकता था।

उन्‍होंने एम्‍ब्रॉयडरों के साथ घंटों समय बिताया। शुरू में उन्‍हें इसके कारीगर भी नहीं मिलते थे। वह खुद ही कई-कई घंटे काम क‍िया करती थीं। ऐसे एक पीस को तैयार करने में कम से कम 15 दिन का समय लग जाता है। यह काम बहुत बारीक होता है।

सारा चाहती हैं कि उनकी पीढ़ी के लोग समझें कि कैसे हमारी ऐक्टिविटीज पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे समय में ज्‍यादा टिकाऊ होना कितना जरूरी है। उनकी इच्‍छा है कि वह फैशन की फील्‍ड में और चीजों को खोजें। इसका पता लगाएं कि देश में फैशनेबल कपड़े कैसे ज्‍यादा टिकाऊ और ईको-फ्रेंडली बनाए जा सकते हैं।

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