पेरिस: जर्मनी ने जंग की संभावनाओं को देखते हुए हर दिन 1000 घायल सैनिकों के इलाज की तैयारी शुरू कर दी है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी, नाटो और रूस के बीच होने वाले किसी युद्ध की संभावना को देखते हुए अस्पतालों को तैयार कर रहा है।
नाटो का मानना है कि रूस, साल 2029 तक यूरोप पर हमला कर देगा। हालांकि रूस ने यूरोपीय देशों के ऐसे किसी भी आरोपों और आकलन को सिरे से खारिज कर दिया है कि उसका इरादा युद्ध को भड़काने या किसी देश पर हमला करने की है। जर्मनी ही नहीं, फ्रांस ने भी देश के अस्पतालों को तैयार रहने के लिए कहा हुआ है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मन सेना के सर्जन जनरल राल्फ हॉफमैन का कहना है कि यूक्रेन युद्ध ने लड़ाई की प्रकृति बदल दी है। उन्होंने कहा कि जहां अब गोली के घाव से ज्यादा ड्रोन, विस्फोट और बर्न इंजरीज देखी जा रही हैं।
अस्पतालों, ट्रेन और एयर एंबुलेंस को तैयार किया जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर बड़ी संख्या में सैनिकों को मोर्चे से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर इलाज दिया जा सके। दूसरी तरफ द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस 10 हजार से 50 हजार घायल लोगों के इलाज की तैयारी कर रहा है। फ्रांसीसी अस्पतालों को मार्च 2026 तक भीषण लड़ाई के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है।
जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों की तैयारियों से साफ है कि नाटो देश किसी हल्के टकराव की नहीं, बल्कि पूर्ण पैमाने के युद्ध की आशंका से जूझ रहे हैं। दरअसल, रूस की ड्रोन और मिसाइल गतिविधियां बार-बार नाटो की सीमा के पास देखी जा रही हैं, जिसने यूरोप की चिंता बढ़ा दी है।
हालांकि मॉस्को बार-बार कहता रहा है कि वह पश्चिमी सैन्य गठबंधन यानि नाटो से किसी भी तरह की युद्ध की तैयारी नहीं कर रहा, लेकिन 2022 से जारी यूक्रेन युद्ध ने रूस और यूरोपीय देशों के तनाव को काफी भड़का दिया है। फ्रांसीसी अखबार ले कैनार्ड एनचाइने ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “10 से 180 दिनों की अवधि में अस्पतालों में 10,000 से 50,000 जवानों के भर्ती होने की उम्मीद है।
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान ने माहौल को और गर्म कर दिया है। न्यूयॉर्क में यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन अपनी छीनी हुई जमीन वापस छीन सकता है, क्योंकि रूस अब “पेपर टाइगर” बन चुका है।
यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि ट्रंप पहले यूक्रेन से कुछ जमीन छोड़ने की बात करते रहे थे, लेकिन अब वे रूस की कमजोर अर्थव्यवस्था और बढ़ते दबाव को देखते हुए पूरी जीत की संभावना जता रहे हैं। इसीलिए आशंका तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर है कि क्या दुनिया बहुत जल्द तीसरे विश्वयुद्ध में तो नहीं फंस जाएगी?