पाकिस्तान में उठापटक

पाकिस्तान : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने पहुंचे पुलिस और सेना के जवानों को जिस तरह अपने कदम पीछे खींचने पड़े, उससे उनके साथ शहबाज शरीफ सरकार की भी किरकिरी हुई। इसी के साथ यह भी स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान के नए सेनाध्यक्ष भी इमरान खान को दंडित होते हुए देखना चाहते हैं।

अब इमरान खान और उनके समर्थकों की ओर से सेनाध्यक्ष को कोसने का सिलसिला और तेज हो जाए तो हैरानी नहीं। पाकिस्तान में यह पहली बार है जब किसी राजनीतिक दल के समर्थक अपनी ही सेना की खुली आलोचना कर रहे हैं। पाकिस्तान के लिए यह सामान्य घटनाक्रम नहीं।

ऐसा घटनाक्रम पाकिस्तान को असामान्य स्थितियों की ओर ले जा सकता है, जो कि पहले से ही आर्थिक बदहाली से त्रस्त है। आर्थिक बदहाली के साथ पाकिस्तान राजनीतिक बदहाली की ओर भी बढ़ रहा है। यह साफ दिख रहा है कि इमरान खान का जन समर्थन जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उन्हें इस वर्ष होने वाले चुनावों में सत्ता की दौड़ से बाहर करने की कोशिश भी तेज हो रही है। इस कोशिश में वह सेना भी शामिल दिखती है, जो एक समय छल-बल से उन्हें सत्ता में लाई थी।

इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से फौरी तौर पर राहत अवश्य मिल गई है, लेकिन यदि उनकी गिरफ्तारी का वारंट रद नहीं होता तो उनके समर्थकों और पुलिस-सेना के बीच नए सिरे से टकराव हो सकता है। चूंकि इमरान खान अपनी गिरफ्तारी देने के लिए तैयार नहीं, इसलिए यह टकराव कहीं अधिक हिंसक हो सकता है।

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि गत दिवस के टकराव में दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए हैं। यदि पाकिस्तान में राजनीतिक टकराव बढ़ता है तो उसके आर्थिक रूप से और अधिक डांवाडोल होने का खतरा भी बढ़ जाएगा।

चूंकि राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर संकट से जूझता पाकिस्तान भारत के लिए नए खतरे पैदा कर सकता है, इसलिए उससे सावधान रहने की आवश्यकता है। यह आवश्यकता इसलिए और बढ़ गई है, क्योंकि तमाम संकट से दो-चार होने के बाद भी पाकिस्तान कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराने से बाज नहीं आ रहा है।

वह कश्मीर के साथ पंजाब में भी शरारत कर रहा है। वह पंजाब में हथियार और नशीले पदार्थ भेजने में लगा हुआ है। इसका अर्थ है कि वह भारत को अस्थिर-अशांत करने की अपनी नीति का परित्याग ऐसे समय भी करने के लिए तैयार नहीं, जब वह गहरे संकट से घिरा हुआ है।

स्पष्ट है कि पाकिस्तान के बिगड़ते हालत पर न केवल नजर रखने की आवश्यकता है, बल्कि उससे सावधान रहने की भी। इसलिए और भी, क्योंकि पाकिस्तान के दिवालिया होने का खतरा अभी टला नहीं है और एक दिवालिया एवं नीतिगत स्तर पर तमाम आतंकी गुटों को पोषण देने वाला पड़ोसी राष्ट्र भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

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