देहरादून: उत्तराखंड में चल रहे ऑपरेशन कालनेमि के तहत देहरादून या राज्य के अन्य क्षेत्रों में अवैध रूप से रहने वालों का पर्दाफाश किया है। ऐसी ही दो बांग्लादेशी महिलाएं आईएसबीटी क्षेत्र से पुलिस की हत्थे चढ़ी हैं जो देहरादून में अवैध रूप से पिछले 6 महीनों से रह रही थी। इन महिलाओं के पास से बांग्लादेशी पहचान पत्र बरामद हुए हैं, जिसके आधार पर अब इन्हें डिपोर्ट करने की कार्रवाई की जा रही है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कालनेमि ऑपरेशन धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले और छद्म वेष धारण कर लोगों को भय दिखाकर ठगने वाले फर्जी बाबाओं के विरुद्ध शुरू किया गया था। हालांकि इस अभियान ने कई ऐसे लोगों को भी सामने ला दिया है जो अवैध रूप से यहां रह रहे हैं।
कोतवाली पटेल नगर क्षेत्रांतर्गत स्थानीय पुलिस, एलआईयू और एसओजी की संयुक्त टीम ने चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान पूजा बिहार, चंद्रबनी क्षेत्र से दो संदिग्ध महिलाएं मिलीं। जब इनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो इन्होंने खुद के बांग्लादेशी होने की बात स्वीकार की। तलाशी के दौरान उनके पास से बांग्लादेश के पहचान पत्र और परिवार रजिस्टर का विवरण बरामद हुआ। इसके बाद अब इन दोनों महिलाओं को रिपोर्ट करने के लिए वैधानिक कार्रवाई की जा रही है।
यह दोनों महिलाएं यासमीन यासमीन पुत्री मोहम्मद तोहिद मियां निवासी मकान/होल्डिंग शहीद मिया कॉलोनी, ग्राम-गली तेर रतन पो सिलहट सदर, सिलहट नगर निगम सिलहट बांग्लादेश और राशिदा बेगम पुत्री मौहम्मद उल्ला निवासी ग्राम रामों थाना व जिला चटग्राम बांग्लादेश पिछले 6 महीने से इस क्षेत्र में अवैध रूप से रह रही हैं।
इससे पहले यह दोनों महिलाएं दिल्ली में रह रही थीं। इन दोनों ने भारतीय सीमा में पश्चिम बंगाल बॉर्डर से अवैध रूप से घुसपैठ करना स्वीकार किया है। विदित हो कि कालनेमि अभियान के तहत इससे पहले भी पांच बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर डिपोर्ट किया जा चुका है।
सात बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है। इस संबंध में एसएसपी अजय सिंह का कहना है कि धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों और पहचान बदलकर रहने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।