उत्तराखंड गौ सेवा आयोग कार्यकारिणी की बैठक, कई प्रस्तावों पर लगी मुहर

देहरादून: गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने को लेकर उत्तराखंड गौ सेवा आयोग कार्यकारिणी की अहम बैठक हुई. आयोग की कार्यकारिणी में कई प्रस्ताव पारित हुए. इसमें सड़क पर बेसहरा गाय छोड़ने पर अब 2 नहीं 10 हजार जुर्माना भरना पड़ेगा. गौ तस्करी पर 10 साल का कठोर कारावास, 5 लाख जुर्माने का प्रस्ताव पारित हुआ. आयोग के निर्देश पर पुलिस विभाग के स्तर पर गोवंश संरक्षण स्क्वायड का गठन किया जाएगा. ये स्क्वायड राज्य की सीमाओं पर रेगुलर चेकिंग करेगा.

उत्तराखंड गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेन्द्र अणथ्वाल की अध्यक्षता में आज गौ सेवा आयोग की कार्यकारिणी की बैठक हुई. जिसमें राज्य के सभी जनपदों में गौ सदनों के निर्माण, संचालित गौ सदनों की स्थिति और गौ कल्याण कार्यक्रम की विस्तार से समीक्षा की गई. आयोग की बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने सहित गोवंश संरक्षण के लिए कई प्रस्तावों को भी पारित किये गये.

बैठक में सर्वसम्मति से पास हुये प्रस्ताव:

बैठक में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने और सम्पूर्ण भारत में गोवंश अपराधों की रोकथाम के लिए समान कानून बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित करने पर सर्व सहमति व्यक्त की गई.उत्तर प्रदेश में गौ हत्या और गौ मांस की तस्करी जैसे अपराधों के लिए 10 वर्ष का कठोर करावास और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान को उत्तराखंड राज्य में भी लागू करने पर सहमति बनी.गौवंश को शारीरिक कष्ट पहुंचाने पर सजा का प्राविधान करने, गौवंश को सड़क पर छोड़ने वाले के खिलाफ वर्तमान प्रावधान में दो हजार रुपए का आर्थिक दंड को बढाकर 10 हजार किया गया.

शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी गौवंश का पंजीकरण, टैगिंग फोटोग्राफी के साथ करने, गौवंश अपराध रोकने के लिए पुलिस विभाग के स्तर पर पृथक से गौवंश संरक्षण स्क्वायड को मंजूरी.दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की नियमित चेकिंग, गौवंश की तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाने, प्रत्येक गौवंश का जन्म और मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रस्तावनर गौवंश नंदी के संरक्षण के लिए जिला पंचायत और नगर पालिका में नंदी शाला की स्थापना का प्रस्तावदेशी प्रजाति की गायों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहन योजना संचालित करने, भूसे और चारे की कमी को दूर करने के लिए मिलों को होने वाले भूसे की सप्लाई पर रोक लगाने का प्रस्ताव

गौवंश से संबंधित कार्य एवं व्यवस्थाओं के लिए गौ आयोग को पर्याप्त धनराशि आवंटित करने, गौ सदनों के पंजीकरण और मान्यता देने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने, गौचर भूमि का चिन्हीकरण और अतिक्रमण मुक्त कराने का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया.इस दौरान अध्यक्ष ने कहा गाय के सेवा के लिए राज्य में गौसदनों से जुड़े कुछ लोग अच्छा काम कर रहे हैं. आज भी 60 प्रतिशत गौवंश सड़क पर हैं. गोवंश के प्रति क्रूरता बढ़ी है. गौवंश के प्रति अपराध की रोकथाम के लिए सख्त प्रावधान लाया जाएगा.

अध्यक्ष ने निर्देश दिए कि राज्य के अंतर्गत निराश्रित, बेसहारा गोवंश को आश्रय उपलब्ध कराने के लिए शहरी विकास और पंचायतीराज विभाग के अंतर्गत संचालित निर्माणाधीन गौ सदन, गौशालाओं का निर्माण जल्द पूरा किया जाए. नए गौ सदन के लिए भूमि चयन और निविदा प्रक्रिया में तेजी लाए. कोई भी मामले में अनावश्यक लंबित न रहें. गौ सदनों की अवशेष देनदारी का भुगतान और उनकी समस्याओं का समय से निस्तारण किया जाये. गौ सदनों को छूट पर साइलेज उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता विभाग को प्रस्ताव प्रेषित किया जाये. बैठक में आयोग के सदस्यों ने अपने जनपद में गौ सदनों की स्थिति, समस्या और निदान के बारे में अपने सुझाव रखे.

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