देहरादून: आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावित गांवों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। अब तक यह आंकड़ा 411 तक पहुंच चुका है।
शासन की ओर से सभी जिलों से मांगी गई रिपोर्ट में इसमें वृद्धि की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत राज्य में आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास की रफ्तार तेजी नहीं पकड़ पाई है। वर्ष 2012 से अब तक 88 गांवों के 1496 परिवारों का पुनर्वास ही हो पाया है। शेष गांवों का इसका इंतजार है।
राज्य में अतिवृष्टि, भूस्खलन, नदियों की बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं के कारण प्रभावित गांवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। पर्वतीय क्षेत्र में ऐसे गांवों की संख्या सर्वाधिक है। इसे देखते हुए आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2011 में पुनर्वास नीति आई, लेकिन शुरुआत में इसकी गति बेहद धीमी रही।
वर्ष 2012 से 2015 तक केवल दो गांवों के 11 परिवार ही विस्थापित किए गए। इसके बाद इस मुहिम में तेजी आई और 2016 से अब तक 86 गांवों के 1485 परिवारों को विस्थापित किया गया।
अभी भी शासन स्तर पर 10 गांवों के 78 और जिला स्तर पर 22 गांवों के 148 परिवारों के पुनर्वास से संबंधित प्रस्ताव लंबित पड़े हैं। यद्यपि, शासन का कहना है कि इन प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लेने के साथ ही पुनर्वास की गति को अब तेज किया जाएगा।