उत्तराखंड के इन गांवों में सोने के गहने पहनने पर बैन !

विकासनगर:  उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र के कंदाड़ और इद्रोली गांवों ने शादी-समारोहों में महिलाओं के गहने पहनने पर सख्त नियम बनाए हैं. अब महिलाएं केवल सीमित आभूषण पहन सकेंगी और उल्लंघन करने पर ₹50,000 का जुर्माना देना पड़ेगा. इसका उद्देश्य समाज में सादगी, समानता और आर्थिक बोझ कम करना है.ग्राम पंचायत कंदाड की बैठक में सामाजिक निर्णय लिया गया कि कंदाड और इंद्रोली गांव की महिलाएं शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में मात्र सोने से बने तीन ही आभूषण पहनेगी. निर्णय का उल्लंघन करने वालों पर पचास हजार रुपए का अर्थदंड लगाने की भी सहमति बनी है. ग्रामीणों के सामूहिक रूप से लिए फैसले की चर्चा जोरों पर है.

उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार-बावर क्षेत्र में एक अनोखा सामाजिक निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है. चकराता ब्लॉक के कंदाड़ और इद्रोली गांवों में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि अब किसी भी शादी या सामाजिक समारोह में महिलाएं सीमित गहने ही पहन सकेंगी. आदेश के अनुसार महिलाएं केवल कान के कुंडल, नाक की फुली और मंगलसूत्र ही किसी सामाजिक कार्यक्रम में पहन सकेंगी. यदि कोई महिला इस नियम का उल्लंघन करती है तो उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

गांव के लोगों ने यह निर्णय सामूहिक बैठक के बाद लिया है. उनका कहना है कि इस नियम का उद्देश्य समाज में सादगी और समानता को बढ़ावा देना है. ग्रामीणों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में शादी-ब्याह के अवसरों पर गहनों का दिखावा बढ़ गया था. जिससे सामाजिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक असमानता की भावना फैल रही थी. कई परिवारों पर शादी के खर्चों का बोझ भी बढ़ने लगा था. इसी समस्या को देखते हुए दोनों गांवों ने मिलकर यह सख्त लेकिन सार्थक कदम उठाया है.

गांववालों का कहना है कि यह आदेश किसी पर दबाव बनाने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार की दिशा में एक पहल है. इससे गरीब परिवारों को राहत मिलेगी और समाज में बराबरी की भावना मजबूत होगी. अब शादी या अन्य पारिवारिक आयोजनों में बाहरी दिखावे की बजाय सरलता और परंपरा को प्राथमिकता दी जाएगी.स्थानीय लोगों का मानना है कि इस फैसले से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा. गांव के बुजुर्गों ने बताया कि पहले के समय में भी सादगी को ही महत्व दिया जाता था लेकिन आधुनिक दौर में दिखावा बढ़ने से सामाजिक दूरी पैदा हो रही थी. अब इस नियम से लोगों के बीच आपसी एकता और समझ बढ़ेगी.

कंदाड़ और इद्रोली गांवों का यह फैसला उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बन गया है. कई लोग इसे सामाजिक जागरूकता और समानता की दिशा में एक प्रेरक कदम बता रहे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि अगर इस तरह के प्रयास अन्य इलाकों में भी अपनाए जाएं तो विवाह जैसी परंपराएं फिर से सादगी और संस्कारों के रंग में रंगी नजर आएंगी.

स्थानीय महिला फूल्पा देवी जौनसार पोषक और सोने के तीन आभूषण पहने पर कहती है कि गांव का फैसला सबके लिए ठीक है, हमें कोई आपत्ति नहीं है. गांव की अमृता चौहान ने कहा कि हमारे गांव ने जो फैसला लिया है, वह अच्छा है. क्योंकि शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में महिलाएं कोई हमसे ज्यादा गहने पहनती हैं, तो कोई कम पहनती हैं. कोई ज्यादा दिखावा करती हैं, इसके लिए ये फैसला लिया गया है. इसका उद्देश्य है कि गांव में जितनी भी महिलाएं हैं, शादी पार्टियों में एक समान दिखे. कम गहने पहनने पर गरीब लोग को फील होता है. सोने के आभूषण बनाने के लिए लोग उधार और कर्ज तक ले लेते हैं, जो सही नहीं है.

कंदाड गांव के ही बलदेव सिंह कहते हैं ग्रामीणों ने यह फैसला इसलिए लिया है कि अमीरी और गरीबी का भेद मिट सके. गांव में किसी के पास ज्यादा गहना होता है किसी के पास कम होता है. इसलिए गांव में यह परंपरा बनाई है कि जितनी भी महिलाएं शादी विवाह और मांगलिक कार्यों में जाती हैं, वो एक समान आभूषण पहने. कंदाड़ और इद्रोली गांव में अधिकतर किसान रहते हैं, जिनकी आर्थिकी भी मजबूत नहीं है. इसलिए पूरे ग्रामसभा ने तय किया है कि महिलाएं एक जैसा आभूषण पहनेंगी. किसी के मन में यह ना रहे कि मेरे पास ज्यादा है, इसके पास कम है.

बुजुर्ग उमा देवी ने भी फैसले को बताया अच्छा: गांव में 90 बसंत देख चुकी उमा देवी ने बताया कि ये निर्णय काफी अच्छा है. गांव के ही टीकम सिंह ने कहा कि सोना काफी महंगा हो गया है, हर आदमी सोने के गहने नहीं बना सकता. गांव में सभी महिलाएं एक समान गहने पहनेंगी, जो हमारी अतीत की परंपरा भी रही है.

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