नई दिल्ली:नवंबर का महीना आज से शुरू हो गया है। इस महीने में अगर आप घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं और किसी बेहतरीन डेस्टिनेशन की तलाश में हैं तो आप पुष्कर जा सकते हैं। आज यानी 1 नवंबर से पुष्कर मेले का आगाज हो गया है। राजस्थान का पुष्कर मेला खूब फेमस है।
खूबसूरत से इस मेले को दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट फेस्टिवल भी कहा जाता है। इस मेले का आयोजन हर साल बड़ी धूमधाम से होता है। जिसे देखने के लिए देश के कोने-कोने से ट्यूरिस्ट पहुंचते हैं। यहां आपको विदेशी सैलानियों की भीड़ भी दिखेगी। मेला पुष्कर में लगता है जो अजमेर से करीब 12 किलोमीटर दूर है।
पुष्कर मेला राजस्थान का सबसे मशहूर फेस्टिवल है। रेत में सजे-धजे ऊंटों को करतब करते हुए देखने का एक्सपीरियंस ही अलग है। इस मेले में आकर आप कला और संस्कृति के अनूठा संगम देख सकते हैं। हालांकि इस बार लंपी चर्म रोग के फैलने के कारण यहां के फेमस पशु मेले के बिना ही आठ दिन का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
पुष्कर मेला 1 नवंबर यानी आज से शुरू होने वाला है। जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे। उद्घाटन के लिए पुष्कर सरोवर में दीप जलाए जाएंगे और फिर महाआरती होगी। राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा ‘पुष्कर चलो अभियान’ के तहत अलग-अलग देशों के लाखों पर्यटकों को आमंत्रित किया गया है।
इस मेले में अलग-अलग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। मेले में ट्रेडिशनल और फ्यूजन बैंड भी अपनी परफॉर्मेंस का प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा मेले में टेस्टी डिशेज और सुंदर शिल्प कौशल भी प्रदर्शित किया जाएगा।
अजमेर से ११ कि॰मी॰ दूर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते हैं।
हजारों हिन्दू लोग इस मेले में आते हैं। व अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। भक्तगण एवं पर्यटक श्री रंग जी एवं अन्य मंदिरों के दर्शन कर आत्मिक लाभ प्राप्त करते हैं।
राज्य प्रशासन भी इस मेले को विशेष महत्त्व देता है। स्थानीय प्रशासन इस मेले की व्यवस्था करता है एवं कला संस्कृति तथा पर्यटन विभाग इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयाजन करते हैं।
इस समय यहां पर पशु मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें पशुओं से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम भी किए जाते हैं, जिसमें श्रेष्ठ नस्ल के पशुओं को पुरस्कृत किया जाता है। इस पशु मेले का मुख्य आकर्षण होता है।
भारत में किसी पौराणिक स्थल पर आम तौर पर जिस संख्या में पर्यटक आते हैं, पुष्कर में आने वाले पर्यटकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है। इनमें बडी संख्या विदेशी सैलानियों की है, जिन्हें पुष्कर खास तौर पर पसंद है।
हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है।
एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी पडी संख्या में पहुंचते हैं, तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं।
मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या-क्या। ऊंट मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं। लेकिन कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है।