लद्दाख:लद्दाख के इतिहास पर गौर करें, तो इसे शांत क्षेत्रों में गिना जा सकता है.बुधवार को जिस तरीके से यहां हिंसक प्रदर्शन हुआ, वैसी घटनाएं यहां आम नहीं है. लद्दाख 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा जरूर था, लेकिन यहां के लोगों की अपनी अलग संस्कृति और पहचान है. लद्दाख के युवा अब उसी पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर किया जा रहा प्रदर्शन बुधवार को हिंसक हो गया. लेह में आयोजित विशाल प्रदर्शन के दौरान युवाओं की भीड़ ने सीआरपीएफ की एक गाड़ी जला दी. इसके साथ ही प्रदर्शन कर रही युवाओं की भीड़ ने बीजेपी के कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया.
पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज किया तो भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया . हिंसा के बाद प्रदर्शनकारियों के नेता सोनम वांगचुक ने दुख जताया है और युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की है. वांगचुक के अनशन के बाद केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों को बातचीत के लिए छह अक्टूबर को बुलाया है.
सोनम वांगचुक जो एक पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक हैं, वे लेह-लद्दाख के लिए लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं. वे काफी समय से लद्दाख के लोगों की जीवनशैली, संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्षरत है. वे अपनी मांगों के समर्थन में 15 दिन से भूख हड़ताल पर है. जब प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी, तो यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन ही था, लेकिन कुछ ही दिनों में यह प्रदर्शन उग्र हो गया, क्योंकि छात्रों को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
2019 में जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया, तो प्रदेश को बांट दिया गया है. उस वक्त लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. उस वक्त सरकार के फैसले का सोनम वांगचुक ने स्वागत किया था. कुछ ही समय बाद यहां के लोगों ने यह मांग शुरू कर दी कि लेह-लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां के लोगों के हितों की रक्षा हो और उनकी संस्कृति बची रहे. सोनवम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख वासी जो मांग कर रहे हैं वो इस प्रकार है-
सोनम वांगचुक लद्दाख के प्रसिद्ध शिक्षाविद और पर्यावरणविद हैं. वे पेशे से इंजीनियर हैं और उन्होंने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ़ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की है. उन्होंने कई नवीन तकनीकों का आविष्कार किया है. यह दावा किया जाता है कि हिंदी फिल्म थ्री इडियट्स का किरदार फुंसुक वांगडू उनके ही जीवन से प्रेरित है.