यूक्रेन में अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान ढेर

मॉस्को:  यूक्रेन को बहुत बड़ा झटका लगा है। यूक्रेनी एयरफोर्स ने पुष्टि कर दी है कि रूस ने अमेरिकी एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराया है। एफ-16 का युद्ध के मैदान में धाराशायी होने की इस घटना ने, न सिर्फ यूक्रेनी वायुसेना की रणनीति को झटका दिया है, बल्कि अमेरिका की सैन्य डिप्लोमेसी और रूस की एयर डिफेंस क्षमता को लेकर नए बहस छेड़ दिए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि F-16 लड़ाकू विमान को शायद अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ने मार गिराया है। हालांकि कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि हो सकता है कि R-37 एयर-टू-एयर मिसाइल ने भी एफ-16 को निशाना बनाया हो। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस एक हमले ने दोनों देशों के समर्थकों और विरोधियों में खलबली मचा दी है।

आपको बता दें कि F-16 लड़ाकू विमान नाटो और अमेरिका का सबसे टेस्टेड, मल्टी रोल विमान है। यूक्रेन को इसकी आपूर्ति रूस के खिलाफ एक रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए ली थी। पश्चिमी देशों ने सोचा था कि F-16 के आने से यूक्रेनी वायुसेना रूसी Su-35 और Su-34 जैसे विमानों का मुकाबला कर सकेगी।

लेकिन युद्ध के मैदान में रूस ने दिखा दिया है कि पश्चिमी देश सिर्फ टेक्नोलॉजी के दम पर युद्ध की दिशा को नहीं बदल सकते हैं। रूस ने साबित किया है कि युद्ध के मैदान में हकीकत इस बात पर निर्भर करता है कि देश की रणनीति, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और मिशन का प्लान कितना शानदार है।

आपको बता दें कि रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे घातक और सटीक सिस्टम्स में गिना जाता है। यह सिस्टम 400 किलोमीटर दूर तक के टारगेट को भेद सकता है, और साथ ही एक साथ 80 टारगेट्स को ट्रैक करने में सक्षम है। इसमें इस्तेमाल की जाने वाली मिसाइलें F-16 जैसे फाइटर जेट्स के लिए गंभीर खतरा हैं, खासतौर पर तब जब वे रूसी राडार रेंज के भीतर आ जाते हैं।

भारत भी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है। भारत और रूस के बीच हुए करार ने अमेरिका को गुस्से में भर दिया था और भारत के खिलाफ प्रतिबंध तक लगाने की धमकी दी गई थी। हालांकि भारत अपने फैसले पर कायम रहा। भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम को किसी चीनी हमले को काउंट करने के लिए एलएसी के पास तैनात कर रखा है।

दूसरा संभावित हथियार है R-37M के होने की संभावना है। इसे आमतौर पर रूस के Su-35 और MiG-31 फाइटर्स से लॉन्च किया जाता है। इसकी रेंज 300 से 400 किलोमीटर तक मानी जाती है और यह Mach 6 की रफ्तार से उड़ता है। यह विशेष रूप से AWACS, टैंकर और फाइटर जेट्स जैसे हाई वैल्यू टारगेट्स को गिराने के लिए डिजाइन किया गया है।

यदि F-16 को R-37M से मारा गया है तो यह इस बात का संकेत है कि रूस अब यूक्रेनी एयरस्पेस पर न सिर्फ डिफेंसिव, बल्कि ऑफेंसिव पकड़ बना रहा है। F-16 का गिरना उन देशों के लिए भी बड़ा संकेत है, जो अमेरिकी हथियारों पर भरोसा कर रहे हैं, जैसे भारत, मिस्र, या इंडोनेशिया। यह घटना बताती है कि महंगे हथियार ही काफी नहीं, सही रणनीति, सपोर्ट सिस्टम और जियोपॉलिटिकल प्लानिंग भी जरूरी है।

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