चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति: अंतहीन सामंतवाद

देवेंद्र कुमार बुडाकोटी ब्रिटिश काल में, राजस्व वसूली के लिए सामंती व्यवस्था को बढ़ावा दिया गया था। ज़मींदार या चौधरी जैसे बड़े भू-स्वामी व्यक्तियों और…

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उत्तराखंड में विकास की चुनौतियाँ

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से आजीविका का मुख्य आधार आत्मनिर्भर कृषि रहा है, जिसे वानिकी और पशुपालन से सहारा मिलता रहा। आज़ादी…

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उत्तराखंड में भूतिया गांवों का उभरता संकट

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में “भूतिया गांवों” की समस्या कई वर्षों से चर्चा में है। लेकिन इस पर जो विश्लेषण हो रहे हैं, वे न…

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सरकारी नौकरियों का भ्रम

हाल ही में उत्तराखंड में युवाओं का उपचुनाव परीक्षा पेपर लीक के विरोध में हुआ आंदोलन एक बार फिर से सरकारी नौकरियों के प्रति युवाओं…

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स्कूल में ‘श्रमदान’ को कोर्पोरल पनिशमेंट 

देहरादून के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की एक वीडियो हाल ही में इंटरनेट पर वायरल हुई, जिसमें छात्र कुदाल और बाल्टियों की मदद से स्कूल…

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पावर, पैसा और पहचान

क्या भारतीय राजनीति बेरोज़गारों को संतुष्ट करने तक सीमित रह गई है? एक भारत नेता या अभिनेता बनने का सपना देखता है, तो दूसरा मंत्री…

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खस्ताहाल भारतीय सड़कें और अवैध निर्माण

अर्थव्यवस्था को पहुँच रहा है भारी नुकसान भारत में सड़कें अक्सर खराब हालत में होती हैं — न तो निर्माण की गुणवत्ता ठीक होती है,…

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स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न

क्या सार्वजनिक स्वास्थ्य में मानव संसाधनों की वृद्धि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ला सकेगी? देश में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति को प्रायः सार्वजनिक स्वास्थ्य…

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गांव की कहानियां सिर्फ कहानियां

क्या पुनर्वास (रिवर्स माइग्रेशन) एक रोमांटिक कल्पना है? पहाड़ों में एक राजकीय इंटर कॉलेज में छात्रों के साथ एक संवाद सत्र के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र…

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परिवार, संस्कृति और विकास: एक बदलता हुआ समाज

मनुष्य के बच्चे अधिकांश जानवरों की तुलना में कहीं अधिक समय तक अपने माता-पिता पर निर्भर रहते हैं। यदि उन्हें सही देखभाल न मिले, तो…

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