चंद्रयान-3 का चांद के ऑर्बिट में प्रवेश

श्रीहरिकोटा. चंद्रयान-3 को लेकर इसरो ने बड़ी जानकारी दी है. भारत के मिशन ने चंद्रमा के ऑर्बिट में प्रवेश कर लिया है. ये उपलब्धि इस लिहाज से भी खास है क्योंकि इसे सबसे कठिन चरण माना जा रहा था. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा. एक अगस्त की शुरुआत में अंतरिक्ष यान ने ट्रांस-लूनर इंजेक्शन (टीएलआई) के जरिए 288 किलोमीटर गुणा 3.7 लाख किलोमीटर की कक्षा हासिल की थी और चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश किया था.

इसरो ने एक बयान में कहा, ‘चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है. मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), आईस्ट्रैक (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क), बेंगलुरु से पेरिल्यून पर रेट्रो-बर्निंग का कमांड पूरा किया गया.’ पेरिल्यून अंतरिक्ष यान का चंद्रमा से निकटतम बिंदु है.इसरो ने कहा, बेंगलुरु मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स से अंतरिक्ष यान की स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है और सारे सिस्टम सही तरह से काम कर रहे हैं.

इसरो ने साथ ही बताया कि चंद्रयान-3 का अगला ऑपरेशन – कक्षा में कमी – रविवार को रात 11 बजे किया जाएगा. इसरो ने अंतरिक्ष यात्र से अपने मिशन केंद्रों को एक संदेश भी शेयर किया, जिसमें लिखा था, ‘MOX, ISTRAC, यह चंद्रयान-3 है. मैं चांद का गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं.’

बता दें कि 14 जुलाई को लॉन्च के बाद से तीन हफ्तों में इसरो चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से दूर की कक्षाओं में ले जा रहा है. इसी कड़ी में कल यानी रविवार रात 11 बजे के करीब यह यान चंद्रमा की कक्षा में पहला चक्कर पूरा करेगा.

अगस्त के पहले हफ्ते में चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा के पांच से छह चक्कर लगाते हुए धीरे-धीरे चांद से 100 किलोमीटर की दूरी तक पहुंचेगा. इसके बाद अगले 10 दिनों के दौरान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की निश्चित जगह तय की जाएगी. इसके बाद 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे मून लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा.

चंद्रमा पर सूर्योदय जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए इसरो मून लैंडिंग कार्यक्रम को लेकर काफी सतर्क है. ऐसे में अगर जरूरी हुआ, तो लैंडिंग को सितंबर तक के लिए टाला जा सकता है. हालांकि चंद्रयान-3 अब तक के अपने सफर में हर अहम चरण पर सफल रहा है और उम्मीद है कि इसरो अपनी उपलब्धि को जारी रखते हुए तय समय पर चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतार लेगा.

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