13 हजार फीट ऊंचे एयरफील्ड से उड़ान भरेंगे फाइटर जेट

नई दिल्ली : ईस्टर्न लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर बना लैंडिंग ग्राउंड अपग्रेड किया जा रहा है। इसके काम की शुरुआत हो गई है। न्योमा में बने लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करने के बाद यहां से इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट उड़ान भर सकेंगे। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन और भारत के बीच तीन साल से गतिरोध बना हुआ है और चीन भी लगातर अपनी एयर पावर को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

न्योमा का लैंडिंग ग्राउंड 13700 फीट की ऊंचाई पर है। सूत्रों के मुताबिक इसके विस्तार का काम शुरू किया गया है। अभी यह एयरफील्ड छोटा है और यह एक अडवांस लैंडिंग ग्राउंड है। यानी मिट्टी का बना है इसलिए फाइटर जेट के लिए यहां से उड़ान भरना मुश्किल है। इसका इस्तेमाल अभी कुछ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर के लिए किया जा रहा है।

जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर था तब एक लैंडिंग ग्राउंड ने अहम भूमिका निभाई थी। सैनिकों की तैनाती से लेकर हथियार पहुंचाने तक, इस लैंडिंग ग्राउंड का इस्तेमाल किया गया था। अब इसे बढ़ाकर करीब 2.7 किलोमीटर का कंकरीट का रनवे बनाया जा रहा है। यह दो साल के भीतर पूरा हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले महीने न्योमा का दौरा कर सकते हैं।

पिछले कुछ वक्त में चीन ने भी एलएससी के पास अपने फाइटर एयरक्राफ्ट की तैनाती बढ़ाई है। चीन ने होटन एयरबेस में अपने फाइटर J-20 की तैनाती बढ़ाई है। जहां पहले दो J-20 तैनात किए थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़ाकर चार की गई है। इस एयरबेस पर चीन ने ड्रोन की तैनाती भी बढ़ाई है। पिछले करीब ढाई सालों में चीन ने करीब 100 हैलिपेड बनाए, तिब्बत में सैकड़ों किलोमीटर की सड़कें और रेलवे लाइन बनाई।

चीन ने पुराने हैलिपेड का भी नवीनीकरण किया। कैंब्रिज बेस्ड बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स ने भारत चीन की सैन्य ताक़त को लेकर एक रिसर्च की जिसमें कहा गया है कि चीन और भारत की एयरफोर्स की तुलना करें तो इंडियन एयरफोर्स चीन से काफी आगे है।

चीन के कब्जे वाले तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन में जो एयरबेस हैं वह तकरीबन 14000 फीट की ऊंचाई पर हैं। वैसे तो तिब्बत पठारी इलाका है लेकिन समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ज्यादा है। यही वजह है कि इस ऊंचाई पर चीन के विमान फुल पेलोड के साथ नहीं उड़ सकते। यानी कि उसमें फ्यूल भी कम रखना होगा साथ ही हथियार भी। इसके उलट इंडियन एयरफोर्स के ज्यादातर एयरबेस प्लेन इलाकों में हैं और वह फुल पेलोड के साथ उड़ान भर सकते हैं यानी अपनी पूरी क्षमता के साथ। चीन इसलिए लगातार अपनी एयरपावर बढ़ाने की कोशिश में लगा है।

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