चर्चा का विषय बनी पानी से उभरी आकृति
उत्तरकाशी।उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को 16 दिन बीत गए हैं। सुरंग में कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रातभर रेस्क्यू अभियान चला। वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ मैन्युअल ड्रिलिंग भी शुरू करने के लिए टीम सुरंग के अंदर पहुंच गई है।
इस बीच सिलक्यारा सुरंग के मुहाने के पास स्थापित किए गए बाबा बौखनाग के मंदिर की पहाड़ी पर उभरी आकृति चर्चा का विषय बनी हुई है। यह आकृति एक देवता के रूप में उभरी है। इस आकृति से लोगों में आगे सकारात्मक होने का विश्वास जगा।
सिलक्यारा सुरंग में 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य जारी है। वहीं सुरंग के मुहाने के ठीक ऊपर पानी का रिसाव बढ़ गया है। पानी के रिसाव से एक आकृति उभर के सामने आई है। ये उभरी हुई आकृति यह आभास करा रही है कि यह एक देवता हैं और इनके हाथ में कोई हथियार या कोई अन्य दिव्य वस्तु है। इसे शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें कि पिछले दिनों बचाव कार्य के दौरान मलबे में औगर मशीन का कुछ फंस गया था जिससे 24 घंटे के लिए बचाव कार्य बाधित हो गया था। हालांकि रविवार से रेस्क्यू कार्य लगातार जारी है और आज सुबह 48 मीटर फंसी औगर मशीन के ब्लेड को पाइप से पूरी तरह निकाल दिया गया है। अब पाइप के भीतर अगले 10 मीटर को मैन्युअल ड्रिलिंग की जाएगी।
सुरंग के भीतर आज से मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकता है। औगर मशीन को पीछे खींच जाएगा। उसके बाद पाइप के मार्बन की सफाई होगी। फिर रेट माइनर की टीम एक बार में 6 घंटे लगातार अपने उपकरणों के साथ अंदर के पत्थर औजारों और राह में आने वाले धातु के हिस्सों को काटकर रास्ता बनाएगी। जैसे ही आगे मलबा काटा जाएगा और पाइप के लिए रास्ता बन जाएगा। अगर मशीन 800 मिलीमीटर के पाइप को आगे की ओर पुस करेगी। लगभग 12 मी का रास्ता तय करना है।