वॉशिंगटन:वॉशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड पर हुए हमले के बाद अब अमेरिका ने बड़ा कदम उठाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 19 देशों से आने वाले सभी लोगों के ग्रीन कार्ड की दोबारा गहन जांच की जाएगी. यह आदेश सीधे तौर पर उन सुरक्षा चिंताओं के बाद आया है जो व्हाइट हाउस से कुछ कदम दूर हुई फायरिंग के बाद और बढ़ गई हैं.
अमेरिकी नागरिकता एवं इमिग्रेशन सेवा (USCIS) के निदेशक जो एडलो ने कहा कि राष्ट्रपति के निर्देश पर यह जांच ‘पूरी तरह कठोर और फुल-स्केल’ होगी. यह फैसला तब लिया गया है जब गुरुवार को एक अफगान नागरिक ने दो नेशनल गार्ड सदस्यों पर हमला किया था, जिसमें एक की मौत हो चुकी है और दूसरा अब भी गंभीर हालत में है.
सवाल है कि क्या भारत के लोगों पर भी इस फैसले का असर होगा, तो इसका जवाब है नहीं. सीएनएन के मुताबिक, जिन 19 देशों को ‘कंट्रीज ऑफ कंसर्न’ की सूची में रखा गया है, उन्हें ट्रंप प्रशासन ने जून में ही चिन्हित किया था. इन देशों में अफगानिस्तान, बर्मा, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, यमन, बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला शामिल हैं.
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने भी कहा है कि बाइडेन प्रशासन के दौरान मंजूर किये गये सभी आश्रय (Asylum) मामलों की समीक्षा की जा रही है. DHS ने बताया कि अफगान नागरिकों के इमिग्रेशन अनुरोधों की प्रोसेसिंग तात्कालिक रूप से रोक दी गयी है जब तक सुरक्षा और वेटिंग प्रोटोकॉल की समीक्षा पूरी नहीं होती. प्रशासन ने यह कदम ‘बैकलॉग और संभावित गलत वेटिंग’ का हवाला देकर लिया है.
हमले की जांच अब FBI संभाल रही है. एफबीआई निदेशक कश पटेल ने कहा कि यह हमला ‘आतंक की घटना’ के रूप में जांचा जा रहा है और कई राज्यों में सर्च वारंट जारी किए गए हैं. उन्होंने इसे ‘कोस्ट-टू-कोस्ट इन्वेस्टिगेशन’ बताया.
नेशनल गार्ड पर हुए हमले ने अमेरिकी राजनीति में इमिग्रेशन और सुरक्षा के मुद्दे को और भड़का दिया है. हमले के संदिग्ध रहमनुल्लाह लाकनवाल के अफगान मूल का होने और देश में वीजा अवधि से अधिक समय रहने के मामले ने ग्रीन कार्ड और वेटिंग सिस्टम को लेकर बहस तेज कर दी है.

