ढाई लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़

देहरादून:शीशमबाड़ा में लगा कूड़े का पहाड़ लगातार बढ़ता जा रहा है। जिससे हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे हैं। इधर नई कंपनी ने पुराने कूड़े के पहाड़ से पल्ला झाड़ लिया है। चूंकि प्लांट में इतनी जगह नहीं है कि नई कंपनी अपना रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) अलग से एकत्रित कर सके। इसलिए निगम अब बायो माइनिंग विधि से शीशमबाड़ा और सहस्रधारा के पुराने कूड़े का निस्तारण करेगा। निगम ने इसके लिए टेंडर आमंत्रित कर दिए हैैं। इससे पहले आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक यहां कूड़े के आकलन करेंगे।

दरअसल, पहले सहस्रधारा में निगम का ट्रंचिंग ग्राउंड था। इसी जगह पूरे शहर का कूड़ा एकत्रित होता था, लेकिन आसपास आबादी बढ़ने के कारण वर्ष 2017 में सहस्रधारा में कूड़ा डालना बंद कर दिया। इसके बाद शीशमबाड़ा स्थित ट्रंचिंग ग्राउंड में शहर का कूड़ा जाने लगा। निगम ने जब सहस्रधारा से हटाकर शीशमबाड़ा में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाया गया था तो दावा किया गया था कि यह प्लांट अत्याधुनिक होगा और इससे बदबू नहीं उठेगी।

2018 में इस प्लांट के संचालन की जिम्मेदारी रैमकी कंपनी को सौंपी गई थी। कंपनी ने भी बड़े-बड़े दावे करते हुए कहा था कि प्लांट पर आने वाले कूड़े का हर रोज निस्तारण किया जाएगा और कूड़े से निकलने वाले आरडीएफ को बाहर भेजा जाएगा। लेकिन हकीकत में कंपनी ने कूड़ा का निस्तारण करने की बजाय यहां कूड़ा एकत्र करना शुरू कर दिया। जिसके कारण यहां धीरे-धीरे कूड़े का पहाड़ बन गया।

वर्तमान में यहां करीब ढाई लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। इससे उठने वाले दुर्गंध से आसपास रहने वाली हजारों की आबादी परेशान हैं। हालांकि निगम ने रैमकी कंपनी से अनुबंध खत्म करते हुए नई कंपनी को प्लांट के संचालन का जिम्मा सौंपा है, लेकिन नई कंपनी ने भी इस कूड़े के पहाड़ से पल्ला झाड़ लिया है। कंपनी के अनुबंध में भी यह साफ है कि जो नियमित कूड़ा जाएगा, वह उसी का निस्तारण करेगी। ऐसे में यहां हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रहे हैं।

नगर निगम की ओर से यहां तीन लैंडफिल उपलब्ध कराए थे। जिन पर कंपनी को अपना आरडीएफ एकत्रित करना था, लेकिन रैमकी ने इन लैंडफिल में कूड़ा डालना शुरू कर दिया। जिससे अब नई कंपनी के लिए आरडीएफ और कूडा डालने की जगह नहीं बची है। लिहाजा मजबूरन उन्हें इसी कूड़े के पहाड़ पर अपना आरडीएफ और कूड़ा डालना पड़ रहा है। जिससे यह पहाड़ लगातार बढ़ता जा रहा है।

रैमकी कंपनी से शीशमबाड़ा प्लांट का जिम्मा हटाने के बाद निगम ने कंपनी की करोड़ों की पेमेंट रोकी है। कई बार निगम की ओर रैमकी को नोटिस भेजकर आरडीएफ के ढेर को हटाने को कहा गया, लेकिन कंपनी तैयार नहीं हुई। जिसके बाद अब निगम ने स्वयं ही सहस्रधारा और शीशमबाड़ा से आरडीएफ का पहाड़ हटाने की योजना तैयार की है।

इसके तहत पहले निगम सहस्रधारा से पुराने कूड़े के ढ़ेर को हटाएगा उसके बाद शीशमबाड़ा से। निगम अधिकारियों की माने तो इसके लिए विभिन्न कंपनियों से आवेदन मांगे गए हैं। जल्द ही कंपनी का चयन कर पहले सहस्रधारा और फिर शीशमबाड़ा में बायो माइनिंग विधि से कूड़े का निस्तारण किया जाएगा।

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