नई दिल्ली। पाकिस्तान में सेना प्रमुख फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर को असीमित शक्तियां देने के लिए संविधान में संशोधन किया जा रहा है। संसद के ऊपरी सदन सीनेट में शनिवार को 27वां संविधान संशोधन बिल पेश कर दिया गया। इस बिल के जरिये अति महत्वपूर्ण अनुच्छेद 243 में बदलाव किया जाना है, जिसके बाद जनरल मुनीर पाकिस्तान के दूसरे सबसे ताकतवर अधिकारी बन जाएंगे।
सेना के तीनो अंगों की एकीकृत कमान के प्रमुख का पद भी उनके पास होगा। माना जा रहा है कि इससे वह राष्ट्रपति के समकक्ष हो सकते हैं। संविधान संशोधन को खतरनाक बताते हुए विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। देशभर में रविवार को प्रदर्शन हुए। विपक्ष का आरोप है कि इस संशोधन से संविधान का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
देश में विपक्षी गठबंधन तहरीक ए तहाफुज आईन ए पाकिस्तान (टीटीएपी) ने संविधान संशोधन के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का एलान किया था। इसमें मजलिस वहादत ए मुसलीमीन (एमडब्ल्यूएम), पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआइ), पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी), बलूचिस्तान नेशनल पार्टी- मेंगल (बीएनपी-एम) और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआइसी) शामिल हैं।
एमडब्ल्यूएम के प्रमुख अल्लामा रजा नासिर अब्बास ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। देश को 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ एकजुट होना होगा। पीकेएमएपी के प्रमुख महमूद खान अचाकजई ने कहा कि विपक्ष के पास सिवा आंदोलन के और कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार संविधान की नींव हिला रही है। अनुच्छेद 175 से न्यायपालिका का अंत कानून विशेषज्ञ इस संविधान संशोधन की मेरिट पर बंटे हुए हैं।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस संशोधन से सुप्रीम कोर्ट की हैसियत घट जाएगी। संशोधन के बाद सर्वोच्च न्यायिक मंच का स्थान प्रस्तावित संघीय संवैधानिक न्यायालय (एफसीसी) ले लेगा। हालांकि, डॉन अखबार के मुताबिक संविधान संशोधन के समर्थकों का कहना है कि बदलाव से न्यायपालिका का आधुनिकीकरण होगा, लंबित मामले घटेंगे और संविधान और अपीलीय क्षेत्राधिकार अलग-अलग होंगे। इससे न्याय प्रणाली में दक्षता और स्पष्टता बढ़ेगी।
एक वरिष्ठ वकील ने डॉन को बताया कि सामान्य सिविल, आपराधिक और वैधानिक अपीलों पर निर्णय लेने के सीमित अधिकार के साथ, सुप्रीम कोर्ट को एक ‘सुप्रीम डिस्टि्रक्ट कोर्ट’ में बदल दिया जाएगा। सरकार अब चुनाव अधिनियम 2017 और अन्य कानूनों में संशोधन कर सकती है ताकि अपील को सर्वोच्च न्यायालय के बजाय एफसीसी में भेजा जा सके।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 175 में संशोधन करना एक तरह से न्यायपालिका को खत्म करना है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय अप्रासंगिक हो जाएगा। पूर्व अतिरिक्त अटार्नी जनरल तारिक महमूद खोखर ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन से सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों पर कार्यकारी नियंत्रण हावी हो जाएगा, जिससे हाई कोर्ट के जजों के तबादलों में सुप्रीम कोर्ट का अधिकार सीमित हो जाएगा।
अनुच्छेद 175ए में संशोधन से एफसीसी के मुख्य न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कर दिया जाएगा। उनका कार्यकाल भी लंबा होगा और सेवानिवृत्ति की आयु 68 वर्ष होगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष है।

