अमेरिका तक वार करने वाली मिसाइल बना रहा पाकिस्तान !

पाकिस्तान:पाकिस्तान अब ऐसी मिसाइलों के निर्माण में जुटा है, जो कि अमेरिका तक पहुंचने की क्षमता रखती हों। अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने ऐसी मिसाइलों को चीन की मदद से बनाने की कोशिश जारी रखी है और उसके इस कदम ने वॉशिंगटन तक को चौकन्ना कर दिया है।

गौरतलब है कि मौजूदा समय में चुनिंदा देशों के पास ही अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से जुड़ी तकनीक मौजूद है। फिलहाल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास आईसीबीएम मौजूद है। ऐसे में अगर पाकिस्तान इस तकनीक को हासिल कर लेता है तो वह भी दुनिया में एक द्वीप से दूसरे द्वीप तक मार करने वाली मिसाइलों को बनाने वाला देश बन सकता है।

ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर ये इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल होती क्या हैं? पाकिस्तान के आईसीबीएम कार्यक्रम को लेकर अब तक क्या-क्या जानकारियां सामने आई हैं? मौजूदा समय में किन-किन देशों के पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें मौजूद हैं? और इस तकनीक में भारत की क्षमताएं कहां तक हैं?

इन्टरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें अपने नाम के अनुरूप ही एक द्वीप से दूसरे द्वीप तक मार करने में सक्षम मिसाइलों को कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही तय है, आईसीबीएम लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम होती हैं। इन्हें कूटनीतिक बैलिस्टिक मिसाइलों के तौर पर भी पहचाना जाता है। इनकी कम से कम रेंज 5500 किलोमीटर तक मानी जाती है।

सेंटर फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन प्रॉलिफरेशन के मुताबिक, आईसीबीएम की अधिकतम रेंज 7000 किलोमीटर से लेकर 16 हजार किलोमीटर तक हो सकती है। यानी कुछ हथियार दुनिया में कहीं भी किसी भी लक्ष्य को भेद सकते हैं। इन मिसाइलों को अलग-अलग तरीके से लॉन्च किया जा सकता है। अंडरग्राउंड मिसाइल लॉन्चर्स से लेकर ट्रकों या मोबाइल लॉन्चर्स के जरिए।

इसके अलावा कुछ देशों ने अपनी आईसीबीएम को ट्रेनों और सबमरीन से लॉन्चिंग की तकनीक भी विकसित की है।
आईसीबीएम को लेकर चिंताएं इसलिए भी जताई जाती हैं, क्योंकि इन्हें मुख्यतः परमाणु हथियार के तौर पर बनाया जाता है। हालांकि, इन्हें पारंपरिक गोला-बारूद, रासायनिक या जैविक हमलों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

लॉन्चिंग और बूस्ट फेज: मिसाइल के पीछे लगे रॉकेट इसे आगे धकेलते हैं। रॉकेट इसे 3 से 5 मिनट तक ऊपर ले जाने का काम करते हैं। इस दौरान आईसीबीएम की गति 4 किलोमीटर प्रति सेकंड से 7.8 किमी प्रति सेकंड तक पहुंच जाती है। इन्टरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें पृथ्वी के दायरे को पार करते हुए जमीन से 150-400 किमी तक ऊपर जा सकती हैं।

मध्य फेज: इसके बाद आईसीबीएम पृथ्वी की कक्षा में रहते हुए अपने निशाने की तरफ बढ़ती है। यह समय मिसाइल के ऊपर जाने के बाद उसके नीचे आने की शुरुआत का होता है और इसी दौरान पृथ्वी की सबसे ऊपरी कक्षा में रहते हुए निशाने तक अधिकतम दूरी कवर करती है।

निशाने पर गिरने का फेज: आईसीबीएम नीचे गिरने के दौरान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से और ज्यादा गति हासिल करती है। जमीन पर स्थित निशाने से करीब 100 किलोमीटर ऊंचाई पर यह मिसाइल अलग-अलग हथियार (पेलोड) को लॉन्च कर सकती है, जो कि एक बार में कई जगहों को एक साथ निशाने पर ले सकते हैं। यह पेलोड 7 किमी प्रति सेकंड की तीव्र रफ्तार से लक्ष्य को भेद सकते हैं।

परमाणु शक्ति से संपन्न देशों में अब तक पाकिस्तान इकलौता देश है, जिसके पास लंबी दूरी तक मार करने वाली इन्टरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल नहीं है। बताया जाता है कि पाकिस्तान लंबे समय से आईसीबीएम बनाने के लिए तकनीक जुटाने की कोशिश कर रहा है और इसमें उसे चीन का साथ मिला है।

बीते साल दिसंबर में भी एक रिपोर्ट में दावा हुआ था कि पाकिस्तान ने आईसीबीएम बनाने की दिशा में कदम उठा दिए हैं। तब अमेरिका ने इसकी आशंका जताते हुए, चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया था। इन कंपनियों पर पाकिस्तान को आईसीबीएम के लिए जरूरी सप्लाई पहुंचाने का आरोप लगा था। इनमें पाकिस्तान में मिसाइलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार सरकारी कंपनी नेशनल डिफेंस कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) भी शामिल थी।

हालांकि, पाकिस्तान की तरफ से इस रिपोर्ट को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया था। वहीं, इससे पहले 2023-2024 में भी अमेरिका ने कुछ चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। इन कंपनियों पर पाकिस्तान को खास तरह की मिसाइल तकनीक देने के आरोप लगे थे।

इसके अगले ही दिन अमेरिका के तत्कालीन प्रधान डिप्टी एनएसए जॉन फाइनर ने कहा था कि पाकिस्तान एक परिष्कृत मिसाइल तकनीक विकसित कर रहा है। इनमें वे उपकरण भी शामिल हैं, जिससे उसे बड़ी रॉकेट मोटर्स की टेस्टिंग में मदद मिलेगी। तब फाइनर ने अंदेशा जताया था कि पाकिस्तान आईसीबीएम कार्यक्रम को अमेरिका को ध्यान में रखते हुए विकसित कर रहा है और अगर यह जारी रहा तो उसके पास दक्षिण एशिया से काफी दूर अमेरिका तक पर हमले की क्षमता होगी।

फाइनर के इस बयान के बाद माना जा रहा था कि पाकिस्तान जिस मिसाइल को बनाने की तैयारी कर रहा है, उसकी क्षमता 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा मार करने की हो सकती है, क्योंकि दोनों देशों की दूरी लगभग इतनी ही है। सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए तब खुलासा हुआ था कि चीन की मदद से पाकिस्तान बड़ी रॉकेट मोटर बनाने की कोशिश में जुटा है।

अमेरिकी खुफिया विभाग के मुताबिक, अगर पाकिस्तान लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें बना लेता है, तो यह सीधे तौर पर वॉशिंगटन के लिए खतरा होगा और उसे इस्लामाबाद को एक परमाणु शक्ति से संपन्न दुश्मन की तरह चिह्नित रखना होगा। बयान में कहा गया कि पाकिस्तान दावा करता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम भारत, जो कि पारंपरिक सैन्य ताकत में आगे है, को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

हालांकि, आगे अगर कभी भारत और पाकिस्तान में जंग होती है तो वह आईसीबीएम को विकसित कर अमेरिका को अपने हथियारों को तबाह करने से रोकने या जंग में भारत की तरफ से दखल देने से रोकने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।मौजूदा समय में आठ देशों- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया और ब्रिटेन के पास आईसीबीएम का जखीरा है।

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