उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव राधा रतूड़ी !

देहरादून: पत्रकारिता से सफर शुरू करने वाली राधा रतूड़ी आज उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ऊंचे पद पर पहुंच गई हैं। मध्य प्रदेश की बेटी और उत्तराखंड की बहू राधा रतूड़ी अपनी सादगी और सौम्यता के लिए जानी जाती हैं। राधा रतूड़ी महिलाओं को लेकर हमेशा संजीदा रही हैं।

पत्रकारिता से शुरू हुआ सफर इंडियन इनफॉरमेशन सर्विस (आईआईएस) और इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस) के बाद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस) तक पहुंचा है। बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने पहली महिला मुख्य सचिव के तौर पर राधा रतूड़ी को नियुक्त किया है।

मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट मास कम्युनिकेशन करने के बाद राधा रतूड़ी ने इंडियन एक्सप्रेस मुंबई में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उन्होंने इंडिया टुडे मैगजीन में भी काम किया। 1985 में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के साथ ही उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने की तैयारी भी की। राधा रतूड़ी के पिता बीके श्रीवास्तव सिविल सर्विस में थे।

अपने पिता की सलाह पर राधा रतूड़ी ने यूपीएससी की तैयारी की। उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में सफलता मिली। 1985-86 में नियुक्ति के लिए राधा रतूड़ी दिल्ली गईं, लेकिन उनको दिल्ली रास नहीं आई। उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया।

यहां अगले ही प्रयास में राधा रतूड़ी को इंडियन पुलिस सर्विस में जगह बनाने में कामयाबी मिली। 1987 में राधा रतूड़ी आईपीएस में चयनित होने के बाद हैदराबाद में ट्रेनिंग के लिए गई थीं, जहां उनकी मुलाकात 1987 बैच के ही आईपीएस अनिल रतूड़ी से हुई। यहां से दोस्ती का सफर शुरू हुआ तो बात शादी तक पहुंच गई।

इंडियन पुलिस सर्विस में बार-बार तबादलों के कारण पति-पत्नी को अक्सर तैनाती के लिए अलग-अलग स्थान पर रहना पड़ा। इसके बाद राधा रतूड़ी ने आईएएस के लिए प्रयास किया। 1988 में राधा रतूड़ी ने इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस का एक्जाम क्रैक किया और देहरादून के मसूरी में ट्रेनिंग ली। उस समय आईपीएस अनिल रतूड़ी उत्तर प्रदेश में तैनाती पर थे।

मध्य प्रदेश बैच की टॉपर होने के कारण राधा रतूड़ी को मध्य प्रदेश कैडर मिला। इस तरह एक बार फिर दोनों के सामने अलग-अलग राज्यों में तैनाती को लेकर बड़ी चुनौती सामने आई। इसके बाद राधा रतूड़ी ने उत्तर प्रदेश कैडर में जाने के लिए प्रयास शुरू किया। करीब 1 साल बाद राधा रतूड़ी को उत्तर प्रदेश का कैडर मिला।

आईएएस में चयन के बाद राधा रतूड़ी ने देश के चार राज्यों में अपनी सेवाएं दिया। मध्य प्रदेश में काम करने के बाद कैडर चेंज हुआ और उन्हें उत्तर प्रदेश के बरेली में पोस्टिंग मिली। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में विभिन्न जिम्मेदारियों को देखा। इस दौरान आईपीएस अनिल रतूड़ी के नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में जाने पर राधा रतूड़ी ने स्टडी लीव ले ली।

इसके बाद वह प्रतिनियुक्ति पर आंध्र प्रदेश में पोस्टिंग लेकर 2 साल जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में सेवारत रहीं। वर्ष 1999 में वह वापस उत्तर प्रदेश आ गई। 9 नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य अलग राज्य के रूप में स्थापित हुआ तो राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड कैडर ले लिया। इसके बाद से अब तक उत्तराखंड में सेवाएं दे रहीं हैं।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में राधा रतूड़ी ने कई जिलों में जिलाधिकारी का कार्यभार संभाला। उत्तराखंड में लगभग 10 साल तक चीफ इलेक्ट्रोल ऑफिसर का काम संभाला। टिहरी विस्थापन के दौरान उन्होंने विस्थापितों की भी बहुत मदद की।

जबकि उत्तर प्रदेश में सेवारत रहते हुए उन्होंने दिव्यांगजनों के लिए भी अपने स्तर पर बेहतर प्रयास किया। लड़कियों की शिक्षा और उनके लिए उनकी बेहतरी के कार्य करने के लिए राधा रतूड़ी व्यक्तिगत रूप से भी वित्तीय मदद करती हैं।

चर्चा है कि राधा रतूड़ी घर के कामकाज खुद भी करती हैं। अपने बच्चों को भी अपने काम दूसरों पर छोड़ने की बजाए खुद करना सिखाया है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के प्रति भी वे बेहद संजीदा रहीं। राधा रतूड़ी अपने फैसलों के लिए जितनी दृढ़ रहती हैं, उतनी ही भावुक हुए बच्चों और लड़कियों के प्रति भी रहती हैं।

आईएएस राधा रतूड़ी अपनी संस्कृति से भी खासा लगाव रखती हैं। पढ़ने-लिखने की शौकीन होने के साथ ही लोकगीतों के प्रति भी उनका लगाव कई मंचों पर झलकता है। इनके पति डॉ. अनिल रतूड़ी उत्तराखंड डीजीपी पद से रिटायर हो चुके हैं। दोनों की छवि ईमानदार अधिकारियों के रूप में रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *