देहरादून: रिस्पना और बिंदाल नदी पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर डिमार्केशन का काम शुरू हो चुका है. इसके तहत करीब 2,614 मकान प्रभावित होंगे. इसी कड़ी में भगत सिंह कॉलोनी में तकरीबन दो दर्जन मकानों पर निशान लगाए गए. इसके बाद वहां के स्थानीय लोगों में काफी असंतोष देखने को मिला. लोगों के कई तरह के अनसुलझे सवाल भी हैं, जिसे उन्होंने ने ईटीवी भारत से ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान साझा किया. हालांकि, प्रशासन की ओर से इसका जवाब दिया गया है.
रिस्पना और बिंदाल के किनारे बस्तियों पर लाल निशान लगना जारी: देहरादून शहर में बढ़ते ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए शहर के बीचों बीच बहने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी पर दो बड़ी एलिवेटेड सड़क बनाई जा रही है. इस प्रोजेक्ट के तहत रिस्पना नदी और बिंदाल नदी के ऊपर दो अलग-अलग फोरलेन एलिवेटेड रोड बनाई जाएंगी. रिस्पना नदी के ऊपर रिस्पना पुल से नागपुर तक 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी पर कारगी चौक से राजपुर रोड पर साइन मंदिर के पास तक 15 किलोमीटर की एलिवेटेड सड़क बनाई जाएगी.
तकरीबन 6100 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के लिए घनी बसावट से घिरी रिस्पना और बिंदाल नदी के आसपास बसे तकरीबन 2600 मकान जद में आ रहे हैं. लोनिवि के अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार त्रिपाठी की मानें तो रिस्पना नदी किनारे 11 मोहल्ले और बिंदाल नदी किनारे से 16 मोहल्ले प्रभावित हो रहे हैं. जिनमें से कच्चे-पक्के मकान की बात करें तो 1,120 मकान रिस्पना और 1,494 मकान बिंदाल नदी किनारे के प्रभावित होंगे.
इन दिनों इस निर्माण कार्य से संबंधित भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया गतिमान है. इसी के तहत प्रोजेक्ट के अधीन आने वाली संपत्तियां का चिन्हीकरण शुरू हो चुका है. बीती 14 मई से शुरू हुए डिमार्केशन की प्रक्रिया के तहत गुरुवार को रिस्पना नदी के किनारे बसी भगत सिंह कॉलोनी में तकरीबन दो दर्जन निशान लगाए गए.
इसके तहत लोगों के घर, दुकान, ट्रांसफॉर्मर, पुश्ता और मस्जिद के कुछ हिस्से को भी लोक निर्माण विभाग के सर्वे कर्मचारियों ने निशाना लगाया. इस तरह से रिस्पना नदी के किनारे बसी भगत सिंह कॉलोनी में काफी सारे निशान लगाए गए. इन निशानों के लगने से क्षेत्र के लोगों में काफी भय का माहौल देखने को मिला.
अमजद ने बताया कि उन्हें मकान का मुआवजा नहीं, बल्कि जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई चाहिए. यानी उन्हें मकान के बदले मकान चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार से जो भी मांग है, उसको लेकर के वो मोहल्ले वासियों और अन्य लोगों से बातचीत करेंगे. उसके बाद एक संयुक्त रणनीति के तहत अपनी मांग रखेंगे.
इसके अलावा भगत सिंह कॉलोनी के स्थानीय नसीम लद्दाख ने इस कार्रवाई को कॉलोनी के मकानों को तोड़ने की साजिश बताया. उन्होंने कहा कि यह एक विशेष धार्मिक समुदाय के साथ अन्याय किया जा रहा है. वहीं, स्थानीय बुजुर्ग महिला खुर्शीदा जिनके घर पर लाल निशान लगाए गए हैं,
उन्होंने कहा कि वो यहां कई सालों से निवास कर रही हैं. अब उन्हें यदि बेघर किया जाता है तो यह अच्छी बात नहीं है. मुआवजे और विस्थापन पर उन्होंने कहा कि वो अकेली नहीं हैं. सरकार को सभी लोगों के बारे में सोचना चाहिए. लोगों को ये भी कहना है कि यदि गरीबों के मकान तोड़े जा रहे हैं तो उन्हें मकान ही दिया जाना चाहिए.
ज्यादातर लोगों के पास नहीं है जमीन के कागजात: भगत सिंह कॉलोनी के स्थानीय निवासी समीर ने बताया कि मोहनी रोड से लेकर भगत सिंह कॉलोनी तक तकरीबन 25 से 30 निशान लगाए गए हैं, जिसमें मस्जिद भी शामिल है. भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.
स्थानीय निवासी नसीम ने बताया कि इस कॉलोनी में ज्यादातर लोगों के पास जमीन के कागज नहीं है. समस्या यहां आ सकती है कि यदि सरकार मुआवजा या फिर विस्थापन करेगी तो वो जमीन का कोई पुख्ता कागज या रजिस्ट्री भी मांगेगी, जो इस कॉलोनी में ज्यादातर लोगों के पास नहीं है. हालांकि, लोगों का कहना है कि बिजली, पानी सब यहां सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती है. सरकार उनसे वोट भी हासिल करती है.
स्थानीय युवा अफजाल जिसके घर पर निशान लगा है, उन्होंने बताया कि उनकी कॉलोनी में ज्यादातर लोग बेहद गरीब हैं. सरकार उनका मकान तोड़ती है तो वो लोग कहां जाएंगे? इन गरीब लोगों को कोई ठिकाना दिया जाना चाहिए. हालांकि, इस कॉलोनी में रजिस्ट्री किसी की भी नहीं है, ऐसा उन्होंने बताया.
वहीं, स्थानीय युवा साहिल का कहना है कि भगत सिंह कॉलोनी में वो पिछले 2 साल से इस तरह की भय स्थिति देख रहे हैं. जहां पर कभी भी कोई आता है और निशान लगाकर चला जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से या संबंधित विभाग की तरफ से विधिवत तरीके से संवाद होना चाहिए और जनता को बताया जाना चाहिए कि आखिर उनके साथ होने क्या वाला है?
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गुहार लगाई है कि यदि जनता की सुविधा के लिए उनकी कॉलोनी के लोगों के घरों को उजाड़ा जा रहा है तो ये वही लोग हैं, जिनके वोट की राजनीतिक पार्टियों को जरूरत होती है, लेकिन आज उन्हीं के सामने बड़ी चुनौती है. उनका कहना है कि सरकार यदि उनके घरों को अधिग्रहित कर रही है तो सरकार या तो पर्याप्त मुआवजा दें या फिर उनके रहने की कहीं व्यवस्था करे.
वहीं, लोगों के सवालों और मांगों को लेकर जिलाधिकारी देहरादून बंसल का कहना है कि इस एलिवेटेड रोड से लगभग 2600 घर विस्थापित होंगे. इसको लेकर हम नई पुनर्वास नीति पर काम कर रहे हैं. नगर निगम और एमडीडीए की जमीन पर बने घरों को ही पुनर्वास किया जाए इस प्रक्रिया पर हम काम कर रहे हैं. अभी फिलहाल सभी बस्तियों का सर्वे किया जा रहा है. उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा.