नई दिल्ली : देश को 31 मार्च 2026 से पहले नक्सल मुक्त करने के सरकार के अभियान में गुरुवार को उस वक्त बड़ी सफलता मिली, जब एक साथ रिकॉर्ड 170 नक्सलियों ने सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें नक्सलियों की सेंट्रल कमिटी के बड़े नामों में से एक रूपेश भी शामिल है। सरकार को अब नक्सलियों की टॉप लीडरशिप में शामिल मोस्ट वांटेड मांडवी हिडमा और तिरूपति उर्फ देवजी के सरेंडर करने का इंतजार है।
हालांकि, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के हवाले से सूत्रों ने कहा कि इनके सरेंडर करने की उम्मीद काफी कम है। 21 मई को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए नक्सली ग्रुप के टॉप लीडर नरसिम्हा उर्फ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू समेत 28 नक्सलियों की घटना से पहले बसवराजू ने दोनों से हथियार डालने की बात कही थी। जिससे हिडमा और देवजी ने इनकार कर दिया था।लेकिन फिर भी सरकार इनके समेत और बाकी बचे नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने का इंतजार कर रही है।
अभी तक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की लिस्ट में 10 सीनियर ऑपरेटिव भी शामिल हैं। इनमें नक्सलियों के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक छह करोड़ रुपए के इनामी भूपति उर्फ अभय समेत सतीश उर्फ टी वासुदेव राव शामिल हैं। इनके अलावा रानीता, भास्कर, नीला उर्फ नंदे, नेलनार, दीपक पालो और इंद्रावती ने भी सरेंडर किया है। टी वासुदेव राव (CCM) के सिर पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था।
मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि एक समय आतंक का गढ़ रहे छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और नॉर्थ बस्तर को आज नक्सली हिंसा से पूरी तरह से मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब छिटपुट नक्सली केवल साउथ बस्तर में बचे हुए हैं। जिन्हें हमारे सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे।
अमित शाह ने एक्स पर भी पोस्ट करते हुए कहा कि पिछले दो दिनों में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में 258 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इसमें गुरुवार को छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि बुधवार को छत्तीसगढ़ में 27 और महाराष्ट्र में 61 नक्सलियों ने अपने हथियार डाले थे।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि नक्सलियों के विरुद्ध हमारी नीति स्पष्ट है। जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं उनका स्वागत है, लेकिन जो लोग हथियार उठाए रहेंगे, उन्हें हमारी सुरक्षा बलों की कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।