तेलंगना:तेलंगना के मल्लूर गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान आज भी जिंदा हैं, ऐसा माना जाता है कि भगवान नरसिंह की मूर्ति इंसान की त्वचा जितनी सॉफ्ट है, स्किन को दबाने से उसमें से खून निकलने लगता है।
हम और आप आजतक ऐसे मंदिर गए हैं, जहां भगवान सामने होते हैं और लोग उनके दर्शन कर रहे होते हैं, लेकिन भगवान हमेशा आपने मार्बल या किसी हार्ड धातु की मूर्ती से बने देखे होंगे, जिनकी रोज सुबह-शाम पूजा होती है। लेकिन एक मंदिर ऐसा है, जहां भगवान की मूर्ती जिंदा है, और लोग यहां सच्चाई देखने के लिए रोज आते हैं। कुछ यहां आस्था के साथ भी आते हैं कि जिंदा भगवान उनकी जल्दी सुनेंगे।
हम बात कर रहे हैं हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर की जो तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले के मल्लूर गांव में स्थित है। ये मंदिर समुद्र तल से लगभग 1500 फीट ऊंचाई पर पुट्टकोंडा नाम की पहाड़ी पर बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान लक्ष्मी नरसिंह स्वामी की मूर्ति (विग्रह) इस पहाड़ी से स्वयं प्रकट हुई है।
मंदिर के रास्ते में भगवान हनुमान भी शिखांजनेय के रूप में विराजमान हैं और मल्लूर के रक्षक देवता माने जाते हैं। एक युट्यूबर का कहना है कि इस मंदिर में भगवान नरसिंह की मूर्ति इंसान की त्वचा जितनी सॉफ्ट है। अगर आप इस मंदरी में जाना चाहते हैं, तो पहले जान लें इस मंदिर की कहानी।
उन्होंने बताया कि भारत में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की मूर्ति आज भी जिंदा है। उन्होंने बताया ये मंदिर कोई और नहीं बल्कि लक्ष्मी नरसिंहा का टेम्पल है जो कि तेलंगाना के मल्लूर विलेज में है। कहा जाता है ये मंदिर 4000 साल पुराना है, इस टेंपल में जो भगवान नरसिंहा की मूर्ति है वो हार्ड नहीं बल्कि ह्यूमन बॉडी की तरह सॉफ्ट है।
उन्होंने कहा ये मूर्ति 10 फीट लंबी और इतनी सॉफ्ट है कि इस मूर्ति पर फूल रखकर दबाने से फूल अंदर चला जाता है और ज्यादा दबाने से इस मूर्ति से ब्लड भी निकलने लगता है।
इसके अलावा मूर्ति के नेवल से ब्लड जैसा एक लिक्विड लगातार निकलता रहता है, इसे रोकने के लिए वहां चंदन का लेप लगाया जाता है इस टेंपल के पुजारी ये भी बताते हैं कि मूर्ति के पास जाने पर मूर्ति के सांस लेने का भी फील होता है लोग मानते हैं कि इस टेंपल में स्वयं नरसिंहा स्वामी रहते हैं।
मंदिर के पास एक जलधारा बहती है, जो भगवान नरसिंह के चरणों से उत्पन्न मानी जाती है। इस जलधारा का नाम रानी रुद्रम्मा देवी ने “चिंतामणि” रखा था और स्थानीय लोग इसे “चिंतामणि जलपथम” कहते हैं। ये पानी पवित्र और औषधीय गुणों वाला माना जाता है। श्रद्धालु या तो उस पानी में स्नान करते हैं या बोतलों में भरकर अपने साथ ले जाते हैं।
दूर-दराज से लोग इस मंदिर में शांति, सुकून और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए दर्शन करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र जगह पर आने से दुख दूर होते हैं, सुख-समृद्धि आती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये भी विश्वास है कि भगवान नरसिंह की कृपा से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख मिलता है। जो भी भक्त 150 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर दर्शन करते हैं, उन्हें भगवान का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हेमाचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए सही समय तक खुला रहता है, जिससे आप आसानी से दर्शन कर सकें। मंदिर सुबह: 8:30 बजे से 1:00 बजे तक खुलता है, 1 बजे के बाद मंदिर थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है और फिर दोपहर 2:30 बजे दोबारा खुलता है और 5:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। ऐसा माना जाता है कि शाम 5:30 बजे के बाद भगवान नरसिंह मंदिर और आसपास के जंगलों में घूमते हैं, इसलिए दर्शन केवल 5:30 बजे तक ही संभव हैं।
आप अपनी सुविधा के अनुसार इस मंदिर तक कई तरीकों से पहुंच सकते हैं।सड़क मार्ग: वारंगल, मणुगुरु और भद्राचलम-एदुलापुरम रोड से मल्लुरु के लिए बसें मिलती हैं। आप टैक्सी, कैब या अपनी गाड़ी से भी जा सकते हैं।रेल मार्ग: मल्लुरु पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन मणुगुरु (BDCR) है।हवाई मार्ग: हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फ्लाइट लें और वहां से सड़क या रेल मार्ग से मल्लुरु पहुंच सकते हैं।