भगवान शिव का रहस्यलोक

बेरीनाग: उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा श्रद्धालु और पर्यटकों के लिए खोल दी गई है. गुफा के द्वार खोलने से पहले मंदिर कमेटी की ओर से गुफा में पूजा-अर्चना की गई. मॉनसून काल में गुफा में ऑक्सीजन की कमी और फिसलन बढ़ गई थी. ऑक्सीजन की कमी से कई पर्यटकों का स्वास्थ्य बिगड़ गया था. ऐसे में पुरातत्व विभाग ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए बीते 11 अगस्त से 10 अक्टूबर तक गुफा में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.

पुरातत्व विभाग के मुताबिक, बरसात के समय पाताल भुवनेश्वर की गुफा में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम सिंह भंडारी के नेतृत्व में पूजा-अर्चना की गई. अब पर्यटक और श्रद्धालु गुफा के दर्शन के लिए यहां आ सकेंगे. इससे यहां का पर्यटन फिर से रफ्तार पकड़ेगा.

पाताल भुवनेश्वर की गुफा खुलने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों में उत्साह है. आने वाले दिनों में यहां लोगों को अच्छे व्यवसाय की उम्मीद है. पाताल भुवनेश्वर गुफा खुलने से कुमाऊं मंडल विकास निगम, चौकोड़ी और पाताल भुवनेश्वर के पर्यटक आवास गृह में अच्छी बुकिंग होने की उम्मीद है.पाताल भुवनेश्वर गुफा पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट के पास स्थित है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1,350 मीटर और पिथौरागढ़ मुख्यालय से दूरी लगभग 90 किलोमीटर है. जबकि गंगोलीहाट से दूरी लगभग 14 किलोमीटर है.

गुफा का प्रवेश द्वारा काफी संकरा और सर्पाकार (घुमावदार) है. केवल एक व्यक्ति एक समय में प्रवेश कर सकता है. कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव का अधिष्ठान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भारत के मुख्य चारों धामों बदरीनाथ (उत्तराखंड), द्वारका (गुजरात), जगन्नाथपुरी (ओडिशा) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) की झलक इस गुफा में देखने को मिलती है.

गुफा के भीतर शिवलिंग, गणेश, पार्वती, नंदी और कई अन्य दिव्य आकृतियां चूना पत्थर (लाइमस्टोन) से स्वाभाविक रूप से बनी हैं. कहा जाता है कि राजा ऋतुपर्ण (त्रेता युग) ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी. रहस्य और चमत्कार गुफा के अंदर शिव के जटाओं से गंगाजल की बूंदें निरंतर टपकती रहती हैं. यहां सप्तऋषियों की आकृतियां, कल्पवृक्ष और हजारों साल पुराने रूप पत्थरों में उकेरे हुए दिखाई देते हैं. गुफा इतनी गहरी और जटिल है कि कहा जाता है- ‘पाताल तक पहुंचने का मार्ग’ यही है.

गुफा के अंदर कई छोटे-छोटे कक्ष (chambers) हैं, जहां विभिन्न देवताओं की आकृतियां स्वाभाविक रूप से बनी हुई हैं. गुफा के भीतर प्रवेश कैंडल या टॉर्च की रोशनी में होता है. अंदर का रास्ता बहुत संकरा और फिसलन भरा है. इसलिए स्थानीय गाइड के साथ जाना आवश्यक होता है. गुफा में भक्ति, रहस्य और प्राकृतिक कला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.

पिथौरागढ़, अल्मोड़ा या हल्द्वानी से बेरीनाग, गंगोलीहाट तक बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं. जबकि निकटतम हवाई अड्डा पिथौरागढ़ का नैनी सैनी एयरपोर्ट है. निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (लगभग 210 किमी) पर है. पाताल गुफा घूमने का सही समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर सबसे अच्छा समय है.

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