मंदिर पर लहराया धर्मध्वज

अयोध्या। नव्य-भव्य जन्मभूमि पर निर्मित दिव्य राममंदिर के आकाशचुंबी शिखर पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्मध्वजा का विधिवत आरोहण किया। लगभग दो किलो वजनी केसरिया ध्वजा जब 161 फीट ऊंचे शिखर पर लहराई, तो मानो रामलला के मंदिर की पूर्णता का उस क्षण दिव्य उद्घोष हो गया।

इस पवित्र पल में प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, संत समाज तथा वहां उपस्थित सभी भक्तजनों की आंखें श्रद्धा और भावनाओं से भर उठीं। ऐसा प्रतीत हुआ मानो सदियों से चल रही ‘प्रतीक्षा-साधना’ का प्रवाह आज विराम को प्राप्त हो गया हो।

इसी के साथ 9 नवंबर 2019, 5 अगस्त 2020 और 22 जनवरी 2024 की ऐतिहासिक तिथियों के साथ अब 25 नवंबर भी सनातन धर्म के स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गई। सनातन परंपरा, आस्था और अदम्य आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक धर्मध्वज की प्रतिष्ठा राममंदिर के शिखर पर जिस गरिमा के साथ हुई, वह अयोध्या के संत समाज और समस्त भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय, हृदयस्पर्शी तथा युगांतकारी क्षण बन गया।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरा विश्व राम मय हो गया है। उन्होंने कहा कि राम विनम्रता में महाबल का प्रतीक हैं, राम एक दिशा हैं एक मर्यादा हैं। बकौल पीएम, हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। कोविदार हमारी अस्मिता की वापसी का प्रतीक है।

अपनी विरासत पर गर्व करें और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी है। उन्होंने कहा कि हमें आगामी दस वर्ष में मैकाले की गुलामी से मुक्ति पानी होगी। हम आजाद हुए पर गुलामी की मानसिकता से मुक्ति नहीं पा सके।

प्रधानमंत्री ने राम मंदिर से जुड़े हर कारीगर वास्तुकार, श्रमवीर को प्रणाम करते हुए कहा कि इस नगरी ने बताया कि कैसे एक राजकुमार मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है। शबरी, केवट, निषादराज की भूमिका महत्वपूर्ण रही। शबरी माता का मंदिर जनजाति भाव के प्रेम का प्रतीक है, निषाद राज का मंदिर मित्रता का साक्षी है।

माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, जटायु और गिलहरी के मंदिर बड़े लक्ष्य के लिए छोटे प्रयास का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि महिला, दलित, वंचित, युवा , आदिवासी हमारे विकास के केंद्र में हैं। हम शक्ति नहीं सहभागिता से आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन सियावर रामचंद्र की जय से प्रारंभ किया, उन्होंने कहा आज सदियों के घाव भर रहे, सदियों की वेदना कम हो रही। यह उस यज्ञ की पूर्णाहुति है जिसकी अग्नि पांच सौ साल तक प्रज्ज्वलित रही। उन्होंने कहा यह संकल्प से सिद्धि का प्रतीक है, सत्यमेव जयते का प्रतीक है।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज करोड़ों की आस्था साकार हुई। उन्होंने कहा कि इस धर्म ध्वजा की तरह सनातन की ध्वजा को भी शिखर तक लेकर जाना है। बकौल संघ प्रमुख, इस मंदिर के लिए 500 सालों तक संघर्ष करना पड़ा, इस लहराते केसरिया ध्वज को देखकर आज सिंहल जी, रामचंद्र दास जी महाराज तथा डालमिया जी को शांति मिली होगी। उन्होंने कहा कि जैसा सोचा था मंदिर उससे भी सुंदर बना है।

एतिहासिक ध्वजारोहण के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज पीढ़ियों की प्रतीक्षा आज साकार हुई। उन्होंने कहा कि देश आज नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यह राम मंदिर करोड़ों की आस्था का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण से पहले माता अन्नपूर्णा मंदिर में पूजा-अर्चना की।झंडा पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर आर्किटेक्चरल स्टाइल में बने शिखर पर फहराया जाएगा, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा, जो दक्षिण भारतीय आर्किटेक्चरल परंपरा में डिज़ाइन किया गया है, मंदिर की आर्किटेक्चरल विविधता को दिखाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण से पहले माता अन्नपूर्णा मंदिर में पूजा-अर्चना की।161 फीट ऊंचे शिखर और पांच उप शिखर से युक्त राम मंदिर परस्पर प्रतिस्पर्धी प्रतीत होते कई अन्य शिखरों की श्रृंखला से सज्जित है और इसमें सबसे करीबी वे छह पूरक मंदिर हैं, जो मुख्य मंदिर के परकोटे में ही हैं। यह पूरक मंदिर समान ऊंचाई के और समान अधिष्ठान पर निर्मित हैं।

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