देवभूमि में नहीं चलेगा षड्यंत्र

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में सुनियोजित षड्यंत्र के तहत लाल, हरा, पीला, नीला कपड़ा डालकर हजारों एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा किया गया। यह सुनियोजित षड्यंत्र ही लैंड जिहाद है, इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देहरादून में एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि से कब्जा हटाने के लिए विधि, व्यवस्था व संविधान के अनुसार कदम उठाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने सरकारी भूमि पर कब्जा किया, उन्हें पहले नोटिस भेजे गए। कुछ लोगों ने कब्जे स्वयं ही हटाए। जब कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई तो अन्य कब्जे हटाए गए। अभी तक ऐसी 10 हजार एकड़ भूमि मुक्त कराई जा चुकी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी को टारगेट करने जैसी नहीं है। साथ ही प्रश्न किया कि क्या सरकारी जमीन पर कब्जा करने को कोई भी उचित मानेगा। सरकार ने केवल अतिक्रमण ही हटाया है।

उन्होंने कहा कि कहीं कपड़ा डालकर व धार्मिक अवसंरचना की आड़ में सरकारी भूमि को अतिक्रमित करना, पहचान बदलकर बहन बेटियों को बहला फुसलाकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करना कतई सहन नहीं किया जा सकता। यही नहीं, देवभूमि में देश-दुनिया से लोग आते हैं। उस पर कहीं भोजन में थूकने की घटनाएं सामने आई तो कहीं कुछ। यह विकृत मानसिकता है। इस सबको देखते हुए इसे जिहाद की संज्ञा दी गई।

मुख्यमंत्री ने एक प्रश्न पर कहा कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है। कांग्रेस अब फेस सेविंग पर आ गई है। उन्होंने कहा कि अब जनता काम करने वालों को मौका दे रही है। झूठे नैरेटिव बनाने व झूठे नारे गढऩे वाले वोट चोरी करते थे। जो लोग घुसपैठियों को लाते थे, रोहिंग्या बसाते थे, तमाम जगह पर ऐसी शिक्षा दिलाते थे, जहां देशद्रोह पढ़ाया जाता था, उन्हीं लोगों ने वोट चोरी का काम किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जो वोट चोरी की बात करते हैं, वे घुसपैठियों को बसाने का काम करते हैं। ऐसे लोगों के वोट बनवाकर यहां के नागरिकों का अधिकार छीनते थे। अब चुनाव आयोग कानूनी रूप से काम कर रहा है। एसआइआर से वोटों की ठीक से जांच पड़ताल हो रही है, किसकी पृष्ठभूमि कहां की है, यह देखा जा रहा है तो इसमें इनको दिक्कत क्या है।

उन्होंने यह भी कहा कि हम देवभूमि में अतिक्रमण के खिलाफ काम कर रहे हैं। वोट बैंक की खातिर जिन लोगों ने तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया और यहां की डेमोग्राफी व सांस्कृतिक मूल्यों को खराब करने का काम किया, उन्हें ही एसआइआर से परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी माना कि यहां भी घुसपैठ चुनौती है।

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