रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम के साथ ही आज पंच केदारों में से एक तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी खुल गए हैं. पूरे विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ तुंगनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए. अब श्रद्धालु अगले 6 महीने तक बाबा तुंगनाथ के दर्शन कर सकते हैं. वहीं, कपाट खुलने के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
बता दें कि हिमालय में सबसे ऊंचाई और चंद्रशिला की तलहटी में तुंगनाथ धाम विराजमान है. जो पंच केदारों में तृतीय केदार है. जिसके कपाट 2 मई को खोल दिए गए. बीती 30 अप्रैल को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना हुई थी. इससे पहले मक्कूमठ में ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचांग पूजन के तहत तमाम पूजाएं संपन्न की.
ठीक सुबह 10 बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार कर आरती उतारी गई. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मर्कटेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमा कर कैलाश के लिए रवाना हुई. भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर भक्तों ने पुष्प बरसाए. साथ ही लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर मनौतियां मांगी. जिसके बाद डोली रवाना होकर रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंची.
इसके अगले दिन यानी 1 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर पाव, चिलियाखोड, पंगेर, बनियाकुंड यात्रा पड़ावों से होकर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची. इसके बाद 2 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली तुंगनाथ धाम पहुंची. जहां तुंगनाथ धाम के कपाट वेद ऋचाओं के साथ शुभ लग्न अनुसार ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए.