नई दिल्ली : वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना का संक्रमण अभी थमा नहीं है, अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि वायरस में अब भी लगातार म्यूटेशन जारी है जिसके कारण नए वैरिएंट्स का जोखिम बना हुआ है। सभी देशों को कोरोना के जोखिमों को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
भले ही इन दिनों संक्रमण के मामले कम रिपोर्ट किए जा रहे हैं, पर नए वैरिएंट्स के जोखिमों को इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बीच हालिया मीडिया रिपोर्ट्स में यूनाइटेड किंगडम में कोरोना के एक नए वैरिएंट के सामने आने की खबर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एरिस नाम का कोविड वैरिएंट यहां तेजी से फैल रहा है।
एरिस वैरिएंट को शोधकर्ताओं ने EG 5.1 नाम दिया है, सबसे पहले जुलाई में इसकी पहचान की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यूके सहित सभी देशों को सतर्क रहने और कोविड संबंधी उचित व्यवहार का पालन करने की सलाह दी है। अध्ययनकर्ताों का कहना है कि वायरस में जारी म्यूटेशनों के कारण गंभीर या संक्रामक वैरिएंट का जोखिम लगातार बना हुआ है, हमें इस दिशा में बेहद सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) के अनुसार, देश में कोविड-19 मामलों की संख्या बढ़ रही है। स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि रेस्पिरेटरी डेटामार्ट सिस्टम के माध्यम से रिपोर्ट किए गए 4,396 श्वसन सैंपल्स में से 5.4% में कोविड-19 के इस नए वैरिएंट की पहचान की गई है।
यूकेएचएसए ने बताया कि फिलहाल कोविड-19 के कारण अस्पताल में मरीजों के भर्ती होने की दर प्रति 100,000 जनसंख्या पर 1.97 फीसदी है। देश में हर सात में से एक संक्रमित नए एरिस वैरिएंट का शिकार पाया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैरिएंट से यूके सहित कई देशों में एक नई कोविड लहर की आशंका बन रही है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये नया वैरिएंट भी ओमिक्रॉन का ही उपप्रकार है। यूकेएचएसए के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर, पर विशेष रूप से एशिया में बढ़ते संक्रमण के लिए एरिस को प्रमुख कारण माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने इस वैरिएंट को फिलहाल वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि यह ओमिक्रॉन का ही उप-प्रकार है ऐसे में इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम होने का अनुमान है, फिलहाल इस वैरिएंट की प्रकृति को समझने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं।
कितने अलग देखे जा रहे हैं इसके लक्षण?
जोई कोविड द्वारा साझा की गई जानकारियों के मुताबिक एरिस ओमिक्रॉन का ही एक प्रकार है, ऐसे में इसके लक्षण भी पुराने वैरिएंट्स से काफी हद तक मिलते-जुलते ही देखे जा रहे हैं। अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर लोगों ने बहती नाक, सिरदर्द, थकान (हल्की या गंभीर), छींक आने और गला खराब होने जैसी समस्याओं की शिकायत की है। फिलहाल रोगियों में गंभीर रोग के लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं। हालांकि इसकी संक्रामकता जरूरी अधिक हो सकती है जो निश्चित ही चिंताजनक बात है।
कोविड विशेषज्ञ ने कहा कि ज्यादातर लोगों को अपना आखिरी टीका लगने के बाद अब 18 महीने से अधिक हो गए हैं और अधिकांश लोगों को अपने आखिरी संक्रमण हुए भी कई महीने हो चुके हैं, इस प्रकार, हम सितंबर में लहर को तेजी से बढ़ते हुए देख सकते हैं।
हालांकि इंपीरियल कॉलेज लंदन में प्राथमिक देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रमुख, प्रोफेसर अज़ीम मजीद कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि कोविड-19 मामलों में हालिया वृद्धि से अनावश्यक रूप से चिंतित होना चाहिए। मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव होगा, लेकिन जिस प्रकार की वैरिएंट की प्रकृति है उसके देखते हुए ज्यादा परेशान होने जैसी स्थिति नजर नहीं आती है।