ब्रिक्स समिट में मोदी-जिनपिंग ने हाथ मिलाया

जोहान्सबर्ग: साउथ अफ्रीका में 15वीं ब्रिक्स समिट के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाथ मिलाते नजर आए। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से ठीक पहले दोनों नेताओं के बीच कुछ सेकेंड की बातचीत भी हुई। इससे पहले नवंबर 2022 में पीएम मोदी और जिनपिंग ने इंडोनेशिया में हुई G20 समिट में सीमा विवाद पर बात की थी, जिसकी जानकारी इस साल दी गई।

दूसरी तरफ, ब्रिक्स संगठन में जुड़ने के लिए 6 नए देशों को न्योता दिया गया है। इनमें अर्जेंटीना, सऊदी अरब, UAE, मिस्र, इथियोपिया और ईरान शामिल हैं। ये 1 जनवरी 2024 से BRICS के परमानेंट सदस्य बन जाएंगे। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बताया कि पहले फेज की बैठक में इन देशों को संगठन का मेंबर बनने का आमंत्रण दिया गया है।साउथ अफ्रीका में साइन हुए ब्रिक्स के डिक्लेरेशन में ब्राजील, भारत और साउथ अफ्रीका की UNSC में परमानेंट मेंबरशिप की मांग की गई। इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी ने इथियोपिया के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

जिन देशों को ब्रिक्स का न्योता मिला है, उन्हें PM मोदी ने बधाई दी। उन्होंने कहा- भारत ने ब्रिक्स में विस्तार का हमेशा समर्थन किया। इन सभी देशों से हमारे गहरे और ऐतिहासिक रिश्ते हैं। मुझे खुशी है कि 3 दिन की बैठक में कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

PM मोदी ने पश्चिमी देशों के दबदबे वाले संगठनों का नाम लिए बगैर कहा- ब्रिक्स का विस्तार ये जाहिर करता है कि दुनिया के बड़े संगठनों को समय के साथ बदलना चाहिए। वहीं, जो भी देश पहले फेज में इस संगठन से नहीं जुड़ पाए हैं, उनको इसकी सदस्यता दिलाने के लिए भारत अपना योगदान देगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान, इथियोपिया के लीडर्स के साथ बाइलेट्रल मीटिंग भी की।जब हम ग्लोबल साउथ का प्रयोग करते हैं तो ये केवल डिप्लोमेटिक शब्द है। हमने भेदभाव का मिलकर विरोध किया है। गांधी ने साउथ अफ्रीका में ही अश्वेतों के लिए आवाज उठाई।

उन्होंने नेल्सन मंडेला को प्रेरित किया।भारत ने अफ्रीका के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है। 16 नए दूतावास खोले हैं। चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। एजेंडा-2063 के तहत अफ्रीका को दुनिया का ग्लोबल पावर हाउस बनाने में भारत साझेदार है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मून मिशन पर हमें बधाइयां मिल रही हैं। इसे किसी एक देश की सफलता नहीं, बल्कि मानवता की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।

भारत के वैज्ञानिकों को पूरी दुनिया से बधाई मिल रही है। चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर लैंडिंग सिर्फ भारत नहीं बल्कि दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए बड़ी सफलता है।आतंकवाद से लड़ाई में हम अफ्रीकी देशों के साथ हैं, कोविड में हमने अफ्रीकी देशों को वैक्सीन और खाद्य पदार्थ दिए। भारत दुनिया के सभी देशों को परिवार के रूप में देखता है।

चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा- ब्रिक्स के सभी देश बड़ी अहमियत रखते हैं। संगठन में नए सदस्यों का जुड़ना ऐतिहासिक है। ये ब्रिक्स के लिए नई शुरुआत है। हमारे इस संगठन का भविष्य उज्ज्वल है। मुझे पूरा भरोसा है कि जब तक हम एक मकसद से आगे बढ़ेंगे तो हम बेहतर काम कर पाएंगे।

सिरिल रामाफोसा ने बताया है कि डॉलर को चुनौती देने के लिए संगठन की करेंसी पर सभी देशों के रिजर्व बैंक और फाइनेंस मिनिस्टर्स से बात करने को कहा गया। इसे लेकर अगले साल बातचीत की जाएगी। संगठन के सदस्यों ने बातचीत के बाद विभिन्न मुद्दों को लेकर जोहान्सबर्ग डिक्लेरेशन एडॉप्ट किया है।

रामाफोसा ने कहा- हमने ब्रिक्स की स्थापना के 10 साल पूरे होने का जश्न मनाया है। हमने ग्लोबल साउथ की समस्याओं पर चर्चा की। दुनिया में चल रहे अलग-अलग संघर्षों पर बात की है। हम सभी संघर्षों का बातचीत से समाधान निकालने पर जोर देते हैं। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने BRICS के लिए कॉमन करेंसी होने की बात कही है।

इससे पहले चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद ब्रिक्स में डिनर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देने वाले नेताओं का तांता लग गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बड़ी गर्मजोशी के साथ मोदी को बधाई दी।ब्रिक्स का नया सदस्य बनने वाले सऊदी के विदेश मंत्री फैजल बिन फरहान अल सऊद ने भी PM मोदी से मिलकर खुशी जाहिर की।

भारत की विदेश नीति दुनिया पर किसी एक देश के दबदबे के खिलाफ है। भारत एक मल्टीपोलर दुनिया का समर्थन करता है। ऐसे में भारत के लिए BRICS जरूरी है। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि इसके मंच से भारत पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ खुलकर बोल सकता है और उसे दूसरे सदस्य देशों का समर्थन मिलता है। इस संगठन से जुड़कर भारत कई बड़े संगठनों जैसे WTO,वर्ल्ड बैंक और IMF में विकसित देशों के दबदबे को खुलकर चुनौती देता है।

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