नितिन नबीन को चुना गया भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने फिर से सबको चौंकाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में 45 साल के युवा के हाथों पार्टी की कमान संभालने का फैसला ले लिया। पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रहे बिहार के नितिन नवीन को तत्काल प्रभाव से पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है।

इसे सामान्य पदस्थापन नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर भरोसे, संगठनात्मक परिवर्तन और आने वाले चुनावी दौर की रणनीति का संकेत है। माना जा रहा है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव तक नितिन यह जिम्मेदारी संभालेंगे। राजनीतिक हलकों में इसे बंगाल विधानसभा चुनाव तक की तैयारी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

एक दिन पहले ही पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भी प्रदेश अध्यक्ष का फैसला लिया था। माना जा रहा था कि आने वाले खरमास के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कुछ दिन टल सकता है। लेकिन दूसरे ही दिन नितिन नवीन के नाम की घोषणा हो गई। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने के बाद से ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश चल रही थी।

नड्डा का अध्यक्षीय कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका था और तब से वे विस्तार पर कार्य कर रहे हैं। नबीन की नियुक्ति यह भी संकेत है कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दिशा पर ही चलेगी। खासकर छत्तीसगढ़ में प्रभारी के रूप में उनके कामकाज में दोनों शीर्ष नेताओं को प्रभावित किया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ ¨सह ने नितिन नवीन को नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी है। पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर नितिन को मेहनती, संगठित सोच वाला और बिहार में विधायक एवं मंत्री के रूप में प्रभावशाली सेवाएं देने वाला नेता बताया है। राजनाथ सिंह ने भी उन्हें बिहार की धरती से निकला कर्मठ और ऊर्जावान कार्यकर्ता बताते हुए उम्मीद जताई है कि वे पार्टी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सफल होंगे।

नबीन की नियुक्ति यह संदेश है कि पार्टी में जेनरेशन नेक्स्ट का काल शुरू हो चुका है। दरअसल तीसरी पंक्ति के कई नेता भी अध्यक्ष पद की दौड़ में थे। संघ और भाजपा के समन्वय की बात भी कही जा रही थी लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने नबीन को यह जिम्मेदारी दी। छत्तीसगढ़ में प्रभारी के रूप में उनकी भूमिका को सराहा गया।

वहां बूथ स्तर का प्रबंधन, संगठन विस्तार और चुनावी तालमेल पर उनके फोकस का नतीजा निर्णायक जीत के रूप में सामने आया। इसके बाद माना जाने लगा कि नितिन नवीन राष्ट्रीय स्तर पर भी संगठन खड़ा करने की क्षमता रखते हैं।सामाजिक समीकरणों के लिहाज से भी यह नियुक्ति चर्चा में है।

नितिन नवीन कायस्थ समाज से आते हैं। बिहार में इस समाज की आबादी भले ही एक प्रतिशत से कम हो, लेकिन यह भाजपा का पारंपरिक और भरोसेमंद मतदाता वर्ग रहा है। यशवंत सिन्हा के बाद इस समाज के किसी नेता को इतने ऊंचे संगठनात्मक पद पर जिम्मेदारी मिलना भी राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

नितिन नवीन का राजनीतिक सफर पूरी तरह भाजपा के भीतर ही विकसित हुआ है। उनके पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा पार्टी के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे। पिता के निधन के बाद उन्होंने पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से राजनीति की कमान संभाली और वर्ष 2006 से लगातार पांच बार वहां से जीत दर्ज की।

बिहार में पथ निर्माण मंत्री के रूप में उन्होंने सक्रिय, कामकाजी और परिणाम देने वाले मंत्री की छवि बनाई है।संगठन में भी नितिन को अनुशासित संगठनकर्ता, मजबूत रणनीतिकार और जमीनी स्तर से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता है।

उन्होंने राजनीति की शुरुआत भाजपा युवा मोर्चा से की, जहां राष्ट्रीय महामंत्री से लेकर बिहार प्रदेश अध्यक्ष तक की जिम्मेदारियां निभाईं। यही संगठनात्मक अनुभव आगे चलकर उन्हें राज्य प्रभारी और फिर राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियों तक ले गया।

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