‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तबाह हुआ पाकिस्तान

नई दिल्लीः ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर काफी चोट पहुंचाई है. भले ही ओवरऑल नुकसान का आंकड़ा सामने ना आ पाया हो, लेकिन पाकिस्तान के शेयर बाजार को सबसे बड़ा झटका लगा है. तीन दिनों में ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के शेयर बाजार को 80 हजार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा दिया है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तबाह हुआ पाकिस्तान, 3 दिन में हो गया 80 हजार करोड़ का नुकसान

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य टकराव पर विराम लग गया है. शनिवार शाम पांच के बाद से दोनों देशों के ​बीच कोई फायरिंग या फिर ड्रोन हमला नहीं हुआ है. ऐसे दोनों देशों की सेनाओं की ओर से दावा किया गया है.

अगर बात ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान के नुकसान की करें तो वो कोई छोटा मोटा नहीं है. कंगाल पाकिस्तान को सिर्फ शेयी बाजार में 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. अभी तक बाकी किसी नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है. जैसे पाकिस्तान के कितने विमान और ड्रोन ध्वस्त हुए.

पाकिस्तान के इंफ्रा को कितने रुपए का नुकसान पहुंचा. एयरस्पेस और एयरपोर्ट को बंद करने के बाद पाकिस्तान की इकोनॉमी को कितना हुआ. एक अनुमान के अनुसार इन सब में कई अरब डॉलर पाकिस्तान को नुकसान हो चुका होगा.

लेकिन अभी ये बात पुष्ट होना बाकी है. लेकिन शेयर बाजार के नुकसान के आंकड़ों से अनुमान लगाएं तो पाकिस्तान को कोई छोटा मोटा नुकसान नहीं हुआ है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की इकोनॉमी और बाजार की रीढ़ कैसे टूटी है.

पहले बात पाकिस्तान के शेयर बाजार की बात करें तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद कराची स्टॉक एक्सचेंज तीन दिनों तक ओपन हुआ और इन तीन दिनों में से दो दिन केएसई को मोटा नुकसान उठाना पड़ा. 9 मई आखिरी कारोबारी दिन आईएमएफ बेलआउट पैकेज मिलने की संभावना के चलते शेयर बाजार में थोड़ी तेजी देखने को मिली थी. उसके बाद भी ओवरऑल मार्केट इन तीन दिनों में करीब 6,400 प्वाइंट गिरा.

आंकड़ों को देखें तो 6 मई को पाकिस्तान का स्टॉक एक्सचेंज 113,568.51 अंकों पर बंद हुआ. उसी दिन देर रात भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर चालू हो गया. अगले दिन 7 मई को कराची स्टॉक एक्सचेंज 3,559.48 अंकों की गिरावट के साथ 110,009.03 अंकों पर बंद हुआ.

उसके बाद 8 मई को दोनों देशों की ओर से टकराव बढ़ गया और कराची स्टॉक एक्सचेंज पर दबाव बढ़ गया. जिसकी वजह से 8 मई को 6,482.21 अंकों की गिरावट आ गई. 8 मई को गिरावट इतनी तेज थी कि बाजार में ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा था.

ऐसे में दो दिनों में कराची स्टॉक एक्सचेंज को 10,041.69 अंकों का नुकसान हो चुका था. 9 मई को पाकिस्तान के शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली और 3,647.82 अंकों की तेजी के साथ 107,174.64 अंकों पर बंद हुआ. ऐसे में तीन दिनों में पाकिस्तान के बाजार को ओवरऑल 6,393.87 अंकों का नुकसान उठाना पड़ा.

पाकिस्तान के शेयर बाजार में इस बड़े नुकसान की वजह से वहां के निवेशकों को भी मोटा नुकसान हुआ है. ये नुकसान 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया जा रहा है. जोकि कराची स्टॉक एक्सचेंज की वैल्यूएशन के हिसाब से काफी ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार, 6 मई को जब केएसई बंद हुआ तो उसकी वैल्यूएशन 50.67 अरब डॉलर थी.

उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ और 9 मई को शेयर बाजार बंद होने के बाद केएसई 100 की वैल्यूएशन गिरकर 47.82 अरब डॉलर पर आ गई. इसका मतलब है कि तीन दिनों में निवेशकों को 2.85 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. जिसे पाकिस्तानी रुपए में कैलकुलेट करें तो 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा देखने को मिला है.

खास बात तो ये है ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के शेयर बाजार को जितना नुकसान पहुंचाया है. उतना तो पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाला पैसा भी अप्रूव नहीं हुआ है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तौर पर 2.1 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है. जिसमें एक बिलियन डॉलर तुरंत दिया जाएगा.

वहीं पाकिस्तान शेयर बाजार की वैल्यूएशन को 2.85 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है. जोकि आईएमएफ पैकेल से कई मिनियन डॉलर ज्यादा है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं, जिस आईएमएफ पैकेज के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका और आईएमएफ के सामने नाक रगड़ी है, उससे ज्यादा नुकसान कराची स्टॉक एक्सचेंज का ऑपरेशन सिंदूर ने कर डाला है.

भारत की ओर से किए गए हमलों से पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों के अलावा, अन्य नुकसान भी हुए हैं; जिसमें मुजफ्फराबाद में एक मदरसा और एक मस्जिद शामिल है. पाकिस्तानी सरकार को क्षतिग्रस्त हुई नागरिक संपत्तियों की मरम्मत और मुआवज़े पर खर्च करना होगा. जिसकी वजह से पाकिस्तान के खजाने और उसकी इकोनॉमी पर दबाव देखने को मिलेगा.

पाकिस्तान ने अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा और अपनी सीमित जवाबी कार्रवाई करके जवाब दिया. लड़ाकू स्क्वाड्रन, एयर डिफेंस यूनिट्स को जुटाने और सैनिकों को सीमा पर ले जाने की कॉस्ट काफी ज्यादा होगी. हाई टेंशन के दौरान ईंधन, रखरखाव और रसद कॉस्ट भी इकोनॉमी पर दबाव डालती है.

भारत की कूटनीतिक और आर्थिक कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को एक हद तक अलग-थलग कर दिया है. भारतीय बाजार तक पहुंच (यद्यपि सीमित) खत्म होने से सीमेंट, फल और कपड़ा जैसे उत्पादों के पाकिस्तानी निर्यातकों को नुकसान पहुंच रहा है, जिन्हें पहले भारत में खरीदार मिलते थे. हालांकि, इससे भी ज़्यादा नुकसान पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को हुआ है.

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