हरिद्वार:राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिवसीय दौरे पर आज उत्तराखंड पहुंचीं हैं। एयरपोर्ट पर सीएम धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इसके बाद वह हरिद्वार के लिए रवाना हुईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। उन्होंने समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर छात्र-छात्राओं को डिग्री और मेडल दिए। इस दौरान सीएम और राज्यपाल भी मौजूद रहे।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन ने कहा कि यह सबसे प्रसन्नता का विषय है कि आज 64 प्रतिशत छात्राओं ने मेडल प्राप्त किया है। हमारी यही बेटियां भारत का गौरव बढ़ाएंगी। आज समय आ गया है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए। देश के 140 करोड़ की जनता भी आशा भरी निगाह से देख रही हैं। देश को विकसित भारत बनाने में बेटियां अगर पीछे रह जाएंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा रह जाएगा।
रामेदव जी जो प्रयास कर रहे हैं उसकी एकमात्र झलक दिखी है। हरिद्वार का यह पावन क्षेत्र दर्शन का द्वार है। पवित्र परिसर में देवी सरस्वती की आराधना करने वाले सभी बधाई के पात्र हैं। अविरल गंगा की धारा में पतंजलि का योगदान एक धारा के रूप में जुड़ा है। छात्र-छात्राएं और उनके अविभावक भी बधाई के पात्र हैं।
पतंजलि ने योग आयुर्वेद और आध्यात्म से शरीर की विशुद्धियों को दूर करने का काम किया है। महर्षि पतंजलि को मैं प्रणाम करती हूं। महर्षि परंपरा को आज के समाज में बढ़ाया जा रहा है। इस विश्व विद्यालय में शिक्षा और सौंदर्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां के योग आयुर्वेद को बहुत दिनों से जानती हूं। इसका लाभ मुझे मिला भी है।
विश्व बंधुत्व की भावना और नूतन ज्ञान का समन्वय व वैश्विक चुनौतियों को स्वीकार्य कर आगे बढ़ रहा है। बसुधैव कुटुंबकम के भाव से इस मनोरम स्थान पर शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन के साथ अन्य चुनौतियों का सामना करने में आप सभी तत्पर रहेंगे। सर्व मंगल की एक कामना हमारी संस्कृति की एक पहचान है।
मुझे विश्वास है विद्यार्थी सदाचार की शिक्षा को प्रसारित करने में पूर्ण सहयोग रहेगा। विज्ञान और आध्यात्म के समन्वय से आदर्श जीवन निर्माण में सहायक होगा। श्रीमद्भागवत गीता के एक अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने भी निष्ठा पूर्वक कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा दी है। तपस्या और सरलता जीवन को शक्ति देने वाले मूल्य अपनाकर आप सभी अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे। कठिन तपस्या के द्वारा मां गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथी का अनुसरण कर आप सभी भगीरथ प्रयास करेंगे।
इस विश्वविद्यालय ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का मार्ग अपनाया है। मुझे विश्वास है इस विद्यालय के छात्र महत्वपूर्ण योगदान देंगे। आज भारत पूरे विश्व को योग दिवस ही मना रहा है बल्कि इससे पूरे विश्व को स्वास्थ्य का मार्ग दे रहा है। अब पूरे विश्व में यही छात्र-छात्राएं योग प्राणायाम और आध्यात्म को प्रसारित कर विश्व गुरु बनाएंगे। अपने पुरातन भारत का नाम लोग अब जल्द ही सादर से लेंगे। सभी के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
संबोधन में सीएम धामी ने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण समेत पतंजलि परिवार के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू कर शोध संस्थानों और आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस से उत्तराखंड जुड़ा है। देहरादून में साइंस सिटी की स्थापना कर रिसर्च को बढ़ावा दे रहे हैं।
तकनीति नवाचार और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। हम युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं नौकरी देने वाला बना रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में नकल माफिया को रोकने के लिए सबसे सख्त कानून बनाया गया है। राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड के निर्माण के लिए संकल्पित भाव से काम कर रही है। मुझे विश्वास है इस संकल्प को पूरा करने में सभी का सहयोग मिलता रहेगा।
राज्यपाल ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय में स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने योग और आयुर्वेद को पूरी दुनिया में फैलाया, स्वदेशी के अभियान में अभूतपूर्व योगदान दिया। पूरे ब्रह्मांड के कल्याण के लिए हमारे ऋषियों ने योगदान दिया है। प्रधानमंत्री ने समूचे विश्व में योग को एक मुकाम दिया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति आई है। मेरा मानना है कि भारत की पुरातन संस्कृति का पुनरुथान होगा।
मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि युवा योग, आध्यात्म आयुर्वेद और प्राचीन विधाओं को पढ़ने के लिए तत्पर हैं। यह हमारे ब्रांड एंबेसडर हैं। यह एक पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है। आपकी शिक्षा तभी सार्थक होगी जब उसका लाभ आमजन तक पहुंचेगा। भारतीय की प्राचीन परंपरा आज भी सबसे ज्यादा प्रासंगिक है। आने वाले समय में यही विद्यार्थी विकसित भारत में अपना अमूल्य योगदान देंगे ऐसा मुझे विश्वास है। इस आयोजन में राष्ट्रपति की उपस्थिति में गरिमामयी और उर्जवान अनुभूति हुई है।
पतंजलि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि दीक्षांत समारोह में 54 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक, 62 शोधार्थियों को पीएचडी, तीन को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा 744 स्नातक और 615 परास्नातक विद्यार्थियों सहित कुल 1424 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई।

