छोटे से जीव के 25 हजार दांत !

उदय दिनमान डेस्कः दुनिया में कई तरह के जीव मौजूद हैं, जिनकी अपनी-अपनी खासियत होती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जीव के बारे में बताने वाले हैं, जिसके 25 हजार दांत है.अधिकांश लोगों ने घोंघा तो देखा ही होगा. बता दें कि घोंघा दुनिया के सबसे धीमी गति से चलने वाले जीव में से एक है.

वहीं ज्यादातर घोंघे रात के दौरान सक्रिय होते हैं और भोजन की तलाश में निकलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से जीव के दस-बीस नहीं बल्कि 25000 तक दांत होते हैं.अधिकांश लोगों ने घोंघा तो देखा ही होगा. बता दें कि घोंघा दुनिया के सबसे धीमी गति से चलने वाले जीव में से एक है. वहीं ज्यादातर घोंघे रात के दौरान सक्रिय होते हैं और भोजन की तलाश में निकलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से जीव के दस-बीस नहीं बल्कि 25000 तक दांत होते हैं.

हां सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ये सच है कि घोंघे का मुंह करीब एक पिन के आकार जितना होता है, लेकिन इसमें 25 हजार से ज्यादा दांत हो सकते हैं. साइंस फैक्ट के मुताबिक घोंघे के दांत सामान्य दांतों की तरह नहीं होते, बल्कि उसकी जीभ पर होते हैं. यह एक तरीके से बारीक कंघी जैसा दिखता है.हां सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा,

लेकिन ये सच है कि घोंघे का मुंह करीब एक पिन के आकार जितना होता है, लेकिन इसमें 25 हजार से ज्यादा दांत हो सकते हैं. साइंस फैक्ट के मुताबिक घोंघे के दांत सामान्य दांतों की तरह नहीं होते, बल्कि उसकी जीभ पर होते हैं. यह एक तरीके से बारीक कंघी जैसा दिखता है.

बता दें कि घोंघे का वैज्ञानिक नाम Gastropoda है. इनका मुख्य भोजन मिट्टी, पत्ते तथा फूल है. घोंघे का औसत जीवनकाल 20 साल के आसपास होता है. ये ज्यादातर पेड़ों, दलदली जमीन, पानी, घास के मैदानों में देखने को मिलते हैं.बता दें कि घोंघे का वैज्ञानिक नाम Gastropoda है. इनका मुख्य भोजन मिट्टी, पत्ते तथा फूल है. घोंघे का औसत जीवनकाल 20 साल के आसपास होता है. ये ज्यादातर पेड़ों, दलदली जमीन, पानी, घास के मैदानों में देखने को मिलते हैं.

इसके अलावा घोंघे का शरीर जितना मुलायम होता है, उसके शरीर का बाहरी भाग उतना ही कठोर होता है. जिसे शेल कहा जाता है. दुनिया में मुख्य तौर पर तीन प्रजाति के घोंघे पाए जाते हैं. अफ्रीकन स्नेल, रोमन स्नेल और गार्डेन स्नेल होते हैं. हालांकि रंग-रूप के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जा सकता है या पहचाना जा सकता है. कुछ घोंघे मटमैले रंग के होते हैं तो कुछ हल्के पीले रंग के होते हैं.

इसके अलावा घोंघे का शरीर जितना मुलायम होता है, उसके शरीर का बाहरी भाग उतना ही कठोर होता है. जिसे शेल कहा जाता है. दुनिया में मुख्य तौर पर तीन प्रजाति के घोंघे पाए जाते हैं. अफ्रीकन स्नेल, रोमन स्नेल और गार्डेन स्नेल होते हैं. हालांकि रंग-रूप के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जा सकता है या पहचाना जा सकता है. कुछ घोंघे मटमैले रंग के होते हैं तो कुछ हल्के पीले रंग के होते हैं.

इतना ही नहीं दुनिया के तमाम हिस्सों में लोग बड़े चाव से घोंघा खाते भी हैं. इससे कई मशहूर डिश भी बनती है. इसके अलावा चीन, हांगकॉन्ग, वियतनाम जैसे कई देशों में बाकायदे घोंघा पाला जाता है या आसान भाषा में आप कह सकते हैं कि इनकी फार्मिंग की जाती है. वहां के बाजार में 400 रुपये से 600 रुपये किलो तक बिकता है.

इतना ही नहीं दुनिया के तमाम हिस्सों में लोग बड़े चाव से घोंघा खाते भी हैं. इससे कई मशहूर डिश भी बनती है. इसके अलावा चीन, हांगकॉन्ग, वियतनाम जैसे कई देशों में बाकायदे घोंघा पाला जाता है या आसान भाषा में आप कह सकते हैं कि इनकी फार्मिंग की जाती है. वहां के बाजार में 400 रुपये से 600 रुपये किलो तक बिकता है.

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