उदय दिनमान डेस्कःउत्तराखंड ज्योतिष रत्न एवं श्रीमद्भागवत रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल जी के भागवत प्रवचन में कहा कि विनय मानव जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सभी मानवीय गुणों में विनय अतिश्रेष्ठ और अति दुर्लभ गुण है। जिस प्रकार से हीरे की खानें और मोती-माणिक्य के टुकड़े यत्र-तत्र नहीं मिलते उसी प्रकार विनय भी आसानी से सर्वत्र अथवा सभी मनुष्यों के जीवन में नहीं मिलती है।
शास्त्रों में विनय की महत्ता बताते हुए यहाँ तक कहा गया है कि –
विनयः कारणं मुक्तेः विनयः कारणं श्रियः
विनयः कारणं प्रीतेः विनयः कारणं मतेः
विनय संपत्ति प्रदान कर सकता है, विनय प्रीती प्रदान कर सकता है, विनय सन्मति प्रदान कर सकता है और इससे भी बढ़कर विनय मुक्ति प्रदान करने की सामर्थ्य भी रखता है। मुक्ति अर्थात् क्रोध से मुक्ति, ईर्ष्या से मुक्ति, प्रतिस्पर्धा से मुक्ति, राग – द्वेष से मुक्ति और सबसे बड़ी बात वो ये कि अहंकार से भी मुक्ति विनय प्रदान कर देता है।
इसलिए सत्य कहा गया है कि जो विनयी होता है वही विजयी भी होता है। दुनियाँ मे जहां अस्त्र-शस्त्र सब निष्फल हो जाते हैं वहाँ पर विनय ही एक मात्र वो रामबाण होता है जिससे उस परिस्थिति पर विजय हासिल की जा सके।
जीवन में सबको झुकाकर चलने वाला हार सकता है मगर सबसे झुककर चलने वाला कभी नहीं हार सकता है। आँधी और तूफान भी पेड़ को उखाड़ कर बहा और उड़ा सकते हैं मगर एक तिनके को नहीं। इसलिए जीवन में सदा विजय हो उसके लिए पहले जीवन में सदा विनय लानी ही होगी।