मतदाता इन 12 दस्‍तावेजों का कर सकेंगे इस्‍तेमाल

देहरादून: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी। उत्तराखंड में पांच सीटों के लिए होने वाले चुनाव में 83,21,207 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित होते ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो गई है।राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि चुनाव में मतदाता पहचान पत्र के अलावा 12 अन्य दस्तावेजों का प्रयोग मतदान के लिए किया जा सकेगा।

इसमें आधार कार्ड, मनरेगा जाब कार्ड, बैंक अथवा डाकघर द्वारा जारी फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआइ द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन अभिलेख, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सार्वजनिक उपक्रमों और सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के द्वारा कर्मचारियों को जारी फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों व एमएलसी द्वारा जारी अधिकारिक पहचान पत्र, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी विशिष्ट दिव्यांग फोटो पहचान पत्र सम्मिलित हैं।

18वीं लोकसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही उत्तराखंड में भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस मध्य हिमालयी राज्य में प्रथम चरण में मतदान होने से प्रत्याशियों, राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने राहत की सांस ली है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने मोर्चा संभाल लिया है।

अब आने वाले दिनों में फाग के रंगों में सियासी रंग घुलेंगे तो तापमान में चुनावी गर्माहट भी देखने को मिलेगी। राज्य गठन के बाद से अब तक की तस्वीर पर नजर दौड़ाएं तो लोकसभा की पांच सीटों वाले उत्तराखंड में वर्ष 2004 में अंतिम चरण में मतदान हुआ था। इसके बाद वर्ष 2009 से यहां लोकसभा चुनाव में मतदान प्रथम चरण में ही होता रहा। इस बार भी यह परिपाटी कायम रही है।

प्रथम चरण में 19 अप्रैल को जिन राज्यों में मतदान होना है, उनमें उत्तराखंड भी शामिल है। इससे राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों ने भी राहत की सांस ली है कि चुनाव प्रकिया जल्द संपन्न हो जाएगी। यद्यपि, उन्हें चुनाव प्रचार के लिए माहभर का ही समय मिलेगा। इसके साथ ही राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने मैदान संभाल लिया है।

इस बीच होली का त्योहार भी है, जिसमें राजनीतिक रंग भी घुलते दिखेंगे। यही नहीं, धीरे-धीरे तापमान भी बढऩे लगा है और आने वाले दिनों में चुनावी सभाएं, बड़े नेताओं के दौरे जैसे कार्यक्रमों से वातावरण में राजनीतिक गर्मी भी बढ़ेगी।

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